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कानपुर जल निगम के 24 अभियंताओं पर भ्रष्टाचार का मुकदमा, आठ साल पहले हुआ था सबसे बड़ा घोटाला

Kanpur Corrupttion Case जेएनएनयूआरएम की कानपुर पुनर्गठन पेयजल योजना फेज-1(इनर ओल्ड एरिया) के तहत गंगा बैराज से कंपनी बाग के बीच 2100 व्यास की पीएससी लाइप लाइन डाली गई थी। इसके अलावा कंपनी बाग से फूलबाग और कंपनी बाग से बारादेवी मंदिर गेट तक जीआरपी पाइप डाली गई।

By Shaswat GuptaEdited By: Published: Sat, 04 Sep 2021 09:48 PM (IST)Updated: Sat, 04 Sep 2021 09:48 PM (IST)
मुकदमा दर्ज किए जाने से संबंधित प्रतीकात्मक फोटो।

कानपुर, जेएनएन। Kanpur Corruption Case जेएनएनयूआरएम (जवाहरलाल नेहरू नेशनल अर्बन रिन्यूवल मिशन ) के तहत शहर में बिछाई गई घटिया पेयजल पाइप लाइन का दर्द पिछले आठ सालों से शहर महसूस कर रहा है। लंबी चली जांच के बाद जल निगम ने माना है कि तत्कालीन अभियंताओं के भ्रष्टाचार के चलते घटिया पाइप लाइन बिछाई गई थी। शनिवार को इस मामले में जल निगम के परियोजना प्रबंधक बैराज इकाई शमीम अख्तर ने 24 इंजीनियरों के खिलाफ फजलगंज थाने में मुकदमा दर्ज कराया। हालांकि जांच में 26 दोषी मिले थे, मगर दो का देहांत हो चुका है। वहीं, जिन 24 अभियंताओं पर मुकदमा हुआ है, उनमें से 16 रिटायर हो चुके हैं। आरोपितों में मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता, परियोजना प्रबंधक और परियोजना अभियंता, सहायक परियोजना अभियंता स्तर के अभियंता शामिल हैं।

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जेएनएनयूआरएम की कानपुर पुनर्गठन पेयजल योजना फेज-1(इनर ओल्ड एरिया) के तहत गंगा बैराज से कंपनी बाग के बीच 2100 व्यास की पीएससी लाइप लाइन डाली गई थी। इसके अलावा कंपनी बाग से फूलबाग और कंपनी बाग से बारादेवी मंदिर गेट तक जीआरपी पाइप डाली गई। तहरीर के मुताबिक इस परियोजना के तहत प्रारंभ में पीएसपी पाइप का प्रविधान था, मगर आपूर्ति न होने का तर्क देते हुए इसमें बदलाव कर दिया गया। खास बात यह कि अधिकारियों ने यह कार्य बिना उच्चाधिकारियों की अनुमति के किया। जब पाइप लाइन में लगातार लीकेज हुए और जांच की गई तो पाया गया कि जीआरपी पाइप भी मानक के अनुरूप नहीं थे। माना गया है कि अभियंताओं के भ्रष्टाचार के चलते एक जनोपयोगी योजना परवान नहीं चढ़ सकी।

इनके खिलाफ दर्ज हुआ मुकदमा: एसके अवस्थी, एसके गुप्ता, पीसी शुक्ला और एसके गुप्ता (सभी तत्कालीन परियोजना प्रबंधक हैं और सेवानिवृत्त हो चुके हैं), रामसेवक शुक्ला व वाईके जैन (दोनों तत्कालीन अधीक्षण अभियंता, सेवानिवृत्त), सूरजपाल व सैय्यद रहमत उल्ला (दोनों तत्कालीन मुख्य अभियंता, सेवानिवृत्त), राकेश कुमार चौधरी (कार्यवाहक अधीक्षण अभियंता, तत्कालीन परियोजना प्रबंधक निर्माण इकाई), डीएन नोटियाल, एसएस तिवारी, लक्ष्मण प्रसाद, विकास गुप्ता, एमएस खान, अमीरुल हसन, पीके शर्मा (सभी तत्कालीन परियोजना अभियंता और सभी सेवानिवृत्त हैं), दीपक कुमार, मयंक मिश्रा, लालजीत (सभी परियोजना अभियंता, बैराज इकाई), दिनेश चंद्र शर्मा (तत्कालीन सहायक परियोजना अभियंता, सेवानिवृत्त), आरके वर्मा, सतवंत सिंह, विपुल ओमरे, सुरेंद्र कुमार (सभी तत्कालीन सहायक परियोजना अभियंता, बैराज इकाई)

इनका हो चुका है देहांत: सैय्यद रहमत उल्ला (तत्कालीन मुख्य अभियंता, सेवानिवृत्त), एमएस खान (तत्कालीन सहायक परियोजना अभियंता, सेवानिवृत्त)


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