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भारतीय सैनिकों के लिए इलेक्ट्रिकल वर्दी, पहाड़ की चोटी पर भीषण ठंड में भी शरीर रहेगा गर्म

उत्तर प्रदेश टेक्सटाइल टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (यूपीटीटीआइ) में विशेषज्ञ ऑर्गेनिक पॉलीमर से इलेक्ट्रिकल कंडक्टिव (विद्युत सुचालक) धागा बनाने में जुटे हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Sat, 04 Jul 2020 04:39 PM (IST)Updated: Sat, 04 Jul 2020 04:39 PM (IST)
भारतीय सैनिकों के लिए इलेक्ट्रिकल वर्दी, पहाड़ की चोटी पर भीषण ठंड में भी शरीर रहेगा गर्म
भारतीय सैनिकों के लिए इलेक्ट्रिकल वर्दी, पहाड़ की चोटी पर भीषण ठंड में भी शरीर रहेगा गर्म

कानपुर, शशांक शेखर भारद्वाज। लेह-लद्​दाख के पहाड़ों की चोटी पर माइनस तापमान में सैनिक देश की रक्षा में मुस्तैद रहते हैं। अगर उत्तर प्रदेश टेक्सटाइल टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (यूपीटीटीआइ) के विशेषज्ञों को शाेध सफल हाे गया तो अब हाड़कंपाऊ ठंड में भी सैनिकों का शरीर गर्म रहेगा, ये अहसास इलेक्ट्रिकल वर्दी देगी। विशेषज्ञ ऑर्गेनिक पॉलीमर से इलेक्ट्रिकल कंडक्टिव (विद्युत सुचालक) धागे बनाने में जुटे हैं, जिनसे बनी वर्दी सैनिकों को ठंडे इलाकों में माइनस डिग्री तापमान में भी सामान्य तापमान का एहसास कराएगी। इस प्रोजेक्ट के जल्द ही पूरा होने की उम्मीद है।

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कपड़ों पर तैयार होगा सर्किट पैड

विज्ञानियों के अनुसार, इन धागों को फाइबर के साथ मिलाकर कपड़ों पर ही सर्किट पैड की तरह डिजाइन किया जाएगा। इसे मोबाइल में लगने वाली बैट्री जितनी बैट्री से जोड़ा जाएगा, जिससे ये गरमाहट देंगे। सबसे बड़ी बात यह है कि वर्दी को धोया भी जा सकेगा। इस कपड़े की लाइफ सामान्य कपड़ों जैसी ही होगी। वर्दी को इसे इस तरह से बनाया जा रहा है कि अंदर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचते ही बैटरी का कनेक्शन अपने आप कट जाएगा और जैसे ही अंदर का तापमान सामान्य से नीचे जाने लगेगा, वैसे ही अपने आप कनेक्ट हो जाएगा। एक बार चार्ज होने पर बैट्री करीब 20 घंटे तक काम करेगी।

विद्युत सुचालक संग प्रदूषण का भी नहीं होगा खतरा

डिपार्टमेंट ऑफ टेक्सटाइल टेक्नोलॉजी के प्रो. शुभंकर मैटी और उनकी टीम आर्गेनिक पॉलीमर पर काम कर रही है। प्रो. मैटी ने बताया कि आर्गेनिक पॉलीमर बायोडिग्रेडेबल (जैव विघटनशील) होता है, जिससे प्रदूषण का खतरा बिलकुल भी नहीं रहेगा। यह शरीर के लिए भी नुकसानदायक नहीं होगा। इन पॉलीमर्स को विशेष प्रक्रिया द्वारा तैयार किया जा रहा है। साधारण पॉलीमर्स इंसुलेटर (कुचालक) का काम करते हैं और उनमें विद्युत का प्रवाह नहीं होता है। इस प्रोजेक्ट के लिए पं.दीनदयाल क्वालिटी इंप्रूवमेंट प्रोग्राम के अंतर्गत आर्थिक सहायता मिली है।

विशेषज्ञों के अनुसार मौजूदा सर्किट में एल्युमिनियम और कॉपर का प्रयोग होता है। जबकि यह सर्किट बेहद छोटे आकार के होंगे, जिनमें कॉपर और एल्युमिनियम की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। विद्युत सुचालक पॉलीमर की खूबी यह है कि इनका उपयोग बेहद छोटे सर्किट के रूप में किया जा सकेगा। कॉपर और एल्युमिनियम के मुकाबले ये सस्ते भी पड़ेंगे और कपड़े के रूप में उपयोग करने लायक रहेंगे। वर्दी के कपड़े अलावा इनसे घुटने, रीढ़ और शरीर के अन्य जोड़ वाले हिस्सों में सिकाई के लिए बेल्ट तैयार की जाएगी। यूपीटीटीआइ के निदेशक प्रो. मुकेश सिंह ने बताया कि यूपीटीटीआइ विद्युत सुचालक पॉलीमर पर काम कर रहा है, जो सैनिकों की वर्दी के लिए मुफीद होगा। इसके अलावा इससे अन्य उपयोगी वस्तुएं भी तैयार की जा सकेंगी।


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