कानपुर के नन्हे विज्ञानी का बड़ा आविष्कार, पैनिक बटन से काबू में आएंगे शोहदे
कानपुर में अवधपुरी स्थित डॉ वीरेंद्र स्वरूप एजूकेशन सेंटर के नौवीं के छात्र ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए पैनिक बटन डिवाइस बनाई है इसके प्रयोग से न सिर्फ उनकी रक्षा हो सकेगी बल्कि शोहदे भी पकड़े जा सकेंगे।
कानपुर, [समीर दीक्षित]। प्रदेश में लगातार बढ़ते महिला अपराधों के बीच डॉ वीरेंद्र स्वरूप एजूकेशन सेंटर अवधपुरी के नौवीं के छात्र की तकनीक अब शोहदों को पस्त करेगी। उनको पकड़वाने में भी मददगार होगी। इसका नाम है पैनिक बटन डिवाइस, जिसे छात्र ने कड़ी मेहनत कर एक माह में तैयार किया है।
टिंकर इंडिया अभियान से मिली प्रेरणा
कुंवर बताते हैं, डिवाइस बनाने के लिए टिंकर इंडिया अभियान से प्रेरणा मिली। ऑड्रिनो प्रोग्रामिंग का इस्तेमाल करके लोकेशन के लिए जीपीएस की मदद ली। डिवाइस में एक सिम लगाकर जीपीएस से जोड़ा गया है। इसीलिए बटन दबाने पर सिम एक्टीवेट हो जाता है। एक समय में सिम को तीन माह के लिए रीचार्ज कर सकेंगे। रीचार्ज खत्म होने पर अलर्ट का संदेश आएगा। सिम किसी भी दूरसंचार सेवा प्रदान करने वाली कंपनी का हो सकता है। इसमें महिला, छात्रा या डिवाइस का उपयोग करने वाले किसी भी सदस्य के सभी परिचितों के नाम व नंबर रहेंगे। वाहन का नंबर और घर का पता भी दर्ज रहेगा।
ऐसे काम करेगी डिवाइस
छात्र कुंवर रोहन ने बताया कि दोपहिया वाहन पर सफर करते समय कोई महिला या छात्रा शोहदों के छेडऩे पर पैनिक बटन दबा देगी। इसे दबाते ही सेंसर एक्टिव हो जाएंगे और उसके परिचितों के पास तक आई एम इन ए प्रॉब्लम का संदेश पहुंचेगा। इससे परिचित पुलिस को सूचना देने के साथ खुद भी उसकी मदद के लिए पहुंच जाएंगे और शोहदे को आसानी से पकड़ा जा सकेगा।
बिक्री के लिए बनाई निजी कंपनी
कुंवर भले नौवीं में पढ़ रहे हैं, लेकिन उनके हुनर को दाद हर कोई दे रहा है। उन्होंने डिवाइस निर्माण के साथ ही अपनी कंपनी भी रोरटेक प्राइवेट लिमिटेड के नाम से बना ली है। निकट भविष्य में कंपनी की वेबसाइट पर यह डिवाइस आसानी से मिलेगी। इसका प्रोविजनल पेटेंट भी कराया जा चुका है। फिलहाल डिवाइस निर्माण में पांच हजार रुपये की लागत आई है। बड़ी संख्या में उत्पादन पर यह दरें घटेंगी।
क्या है ऑड्रिनो प्रोग्रामिंग
ऑड्रिनो प्रोग्रामिंग एक साफ्टवेयर है। इसे कंप्यूटर या लैपटॉप के माध्यम से गूगल पर सर्च कर सकते हैं। मोबाइल पर प्ले स्टोर से डाउनलोड करके भी प्रोग्रामिंग की जा सकती है। कोई भी प्रोग्राम बनाने के लिए सी प्लस-प्लस (कंप्यूटर की लैंग्वेज) का इस्तेमाल करना होता है। इससे विभिन्न तरह के इलेक्ट्रानिक उपकरण बनाने में मदद ली जाती है।