कानपुर में सामने आई बड़ी चूक, वरना रिलीज हो जाते रेमडेसिविर के 265 नकली इंजेक्शन
कानपुर में पुलिस ने रेमडेसिवर के इंजेक्शन बरामद किए थे जो जांच में नकली होने की पुष्टि हुई थी। इसके बाद निचली कोर्ट के आदेश के खिलाफ रिवीजन दाखिल करने के निर्देश हो गए थे। अधिकारियों की मंशा ठीक थी लेकिन रिलीजिंग को लेकर चूक पर सवाल उठ रहे हैं।
कानपुर, जेएनएन। कोविड संक्रमण की दूसरी लहर चरम पर थी। इसी के साथ कालाबाजारी भी तेजी से बढ़ गई। कानपुर में भी पुलिस ने रेमडेसिविर के 265 इंजेक्शन बरामद किए थे। इससे पहले लखनऊ समेत कुछ जगहों पर भी इसी तरह के इंजेक्शन बरामद हुए थे। वहां परिस्थिति को देखते हुए मरीजों के लिए इंजेक्शन रिलीज कर दिए गए।
कानपुर में भी ऐसा ही कुछ होने वाला था। इंजेक्शन रिलीज के लिए रिवीजन (निचली कोर्ट के आदेश के खिलाफ ऊपर जाना) एडीजे कोर्ट में दाखिल करने के निर्देश भी हो गए। इसी दौरान लखनऊ एफएसएल से रिपोर्ट आई तो सबके रोंगटे खड़े हो गए। बरामद किए गए सभी इंजेक्शन नकली थे, जबकि इन्हें रिलीज कराने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया गया था। तब की परिस्थितियों को देखते हुए अधिकारियों की मंशा को गलत नहीं ठहराया जा सकता, लेकिन चूक पर जरूर सवाल उठ रहे हैं।
जानिए-क्या था पूरा मामला
हरियाणा के यमुना नगर छिछरौली निवासी सचिन को 265 वायल रेमडेसिविर के साथ 15 अप्रैल को पकड़ा गया था। उस समय संक्रमण की दूसरी लहर चरम पर थी। ऐसे में अधिकारी चाहते थे कि रेमडेसिविर इंजेक्शन रिलीज करा दिए जाएं। इसके लिए निचली कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया गया, लेकिन न्यायालय ने बिना रिपोर्ट इंजेक्शन रिलीज करने का प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया।
रिपोर्ट न आने से नहीं दाखिल हुआ था रिवीजन
डीजीसी क्रिमिनल दिलीप अवस्थी ने बताया कि अभियोजन अधिकारी द्वारा रिलीज के संबंध में जिलाधिकारी को पत्र भेजा गया था। उन्हें रिवीजन दाखिल करने के निर्देश प्राप्त हुए, लेकिन उन्होंने रिपोर्ट मंगाए जाने तक इंतजार करने का तर्क दिया। डीजीसी ने बताया कि 16 अप्रैल को ही इंजेक्शन जांच के लिए लखनऊ भेजे गए थे, लेकिन रिपोर्ट नहीं आई। अगले माह नौ मई को रिपोर्ट आई तो इंजेक्शन नकली पाए गए, जिसके बाद फिर रिवीजन दाखिल नहीं किया गया।