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अभियुक्त को फांसी की सजा, 70 दिन के अंदर कोर्ट का फैसला, तीन साल की बच्ची से हुई थी हैवानियत

फतेहपुर की खागा कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ले में बीते अक्टूबर माह में पड़ोसी किरायेदार युवक सेब खिलाने के बहाने बच्ची को ले गया था और दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी थी। पुलिस ने उसके कमरे से शव बरामद किया था।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 06:08 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 06:08 PM (IST)
अभियुक्त को फांसी की सजा, 70 दिन के अंदर कोर्ट का फैसला, तीन साल की बच्ची से हुई थी हैवानियत
कोर्ट के फैसला आने पर स्वजन की आंखें भीग गईं।

फतेहपुर, जागरण संवाददाता। कानून और सजा दोनों ही अपराध से पहले उसे अंजाम देने वाले को रोकते हैं लेकिन अपराधी अक्सर कानूनी दांव पेंच का फायदा उठाकर जरायम करते रहते हैं। लेकिन, फतेहपुर में अपर जिला जज एवं सत्र न्यायाधीश माे. अहमद खान की अदालत (पाक्साे कोर्ट) ने महज 70 दिन में अभियुक्त को फांसी सजा सुनाकर मिसाल दी है। मामला भी बेहद गंभीर है, अभियुक्त ने तीन साल की बच्ची से दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी थी। बेटी को खो देने वाले परिवार के गम को कोर्ट के फैसले ने कुछ कम किया है। अब पीड़ित परिवार को दरिंदे को फांसी पर झूलते देखने की चाहत हैं ताकि उसका हश्र देखकर आगे कोई किसी बेटी से ऐसी हैवानियत न कर सके।

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क्या है मामला

फतेहपुर के खखरेड़ू थाना क्षेत्र के गांव की बच्ची खागा कोतवाली क्षेत्र में अपनी नानी के घर पर आई थी। मोहल्ले में दूर्गा पूजा की मूर्ति विसर्जन के दिन 15 अक्टूबर 2021 को परिवार घर से बाहर था। इस बीच पड़ोस में रहने वाला किरायेदार दिनेश पासवान सेब खिलाने का लालच देकर बच्ची को उठा ले गया था। जब बच्ची घर में नहीं मिली घरवालों ने उसकी तलाश शुरू की और पुलिस को सूचना दी। पुलिस की खाेजबीन में पड़ोसी किरायेदार के कमरे से बच्ची का शव मिला था। पुलिस ने दुष्कर्म व हत्या का मुकदमा दर्ज किया था। मामले की सुनवाई अपर जिला जज एवं सत्र न्यायाधीश माे. अहमद खान की अदालत (पाक्साे कोर्ट) में शुरू हुई और पुलिस ने भी सात दिन के अंदर चार्जशीट दाखिल कर दी।

इस तरह चला केस

अभियोजन पक्ष से सहायक शासकीय अधिवक्ता धर्मेंद्र उत्तम व राकेश वर्मा ने गाजियाबाद के निठारी कांड सहित 17 प्रमुख मामलों समेत नजीरें रखकर फांसी की मांग की। मामले में बच्ची की मां, नानी व मोहल्ले के 17 और 10 गवाहों में सरकारी डाक्टर ,विवेचक दारोगा, सिपाही समेत 27 लोगों की गवाही हुई। तत्कालीन खागा कोतवाली प्रभारी विवेचना संतोष कुमार शर्मा ने सात दिन में चार्जशीट भेजी और सभी गवाहों को समय पर पेश करने में तत्परता दिखाई। मंगलवार को अदालत में सुनवाई पूरी हुई और फैसला सुरक्षित रख लिया गया। बुधवार को कोर्ट का फैसला आया, जिसमें अभियुक्त मूल निवासी कौशांबी जिले के थाना कड़ाधाम के दादानगर गांव के दिनेश पासवान को फांसी की सजा सुनाई गई।

डीएनए जांच बनी सबसे बड़ा आधार

अभियुक्त को सजा दिलाने में पूरे घटनाक्रम में डीएनए जांच रिपोर्ट सबसे बड़ा आधार बनी। केंद्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला भोपाल में डीएनए, खून से भीगे कपडे़, अभियुक्त व बच्ची के कपड़ाें की जांच, खून के नमूने से दुष्कर्म व हत्या की पुष्टि की गई थी।

परिवार के गम को किया कम

दुष्कर्म के बाद बच्ची की हत्या के बाद परिवार गम में था, जिसे 70 दिन के अंदर आए कोर्ट के फैसले ने कम किया है। कोर्ट ने जैसे ही फांसी की सजा सुनाई तो बच्ची के स्वजन के आंखें भीग गईं। कहा, बच्ची के जाने का गम तो है लेकिन खुशी इस बात की है कि तीन माह के अंदर हैवानियत करने वाले को सजा मिल गई। हम सभी को अब इंतजार रहेगा कि किस दिन दरिंदा फांसी पर लटके।


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