शासन में अटका बीआईसी की श्रमिक कॉलोनियों का भविष्य
सर्वे की रिपोर्ट भी शासन को भेजी जा चुकी है लेकिन अभी तक कुछ स्पष्ट नहीं हो पा रहा है।
कानपुर, जेएनएन। बीआइसी की संपत्तियों से अवैध कब्जे हटने के बाद श्रमिक कॉलोनियों की चर्चा एक बार फिर से शुरू हो गई है। इससे पहले श्रम मंत्री द्वारा श्रमिक कॉलोनियों के सर्वे कराए जाने के बाद लोगों में स्वामित्व की आस जरूर जगी थी, लेकिन गुजरते वक्त के साथ यह आस की लौ भी ठंडी हो गई है।
प्रदेश के श्रममंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के आदेश के बाद श्रम विभाग की कॉलोनियों का सर्वे कराया गया था, जिसमें मूल आवंटी, मूल आवंटी के आश्रित और कब्जेदारों को चिन्हित किया गया था। सर्वे इसलिए कराया गया था ताकि रिपोर्ट के आधार पर ही स्वामित्व सौंपने का फार्मूला बनाया जाए। सर्वे का काम पूरा हो चुका है और रिपोर्ट भी शासन को भेजी जा चुकी है, लेकिन लंबा समय गुजरने के बाद भी कुछ स्पष्ट नहीं हो पा रहा। इधर बीआईसी की संपत्तियों से अवैध कब्जे हटने के बाद श्रमिक कॉलोनियों में भी लोगों के भीतर यह भय उत्पन्न हो गया है कि उन्हें कॉलोनी खाली करनी पड़ेगी या मालिकाना हक दिया जाएगा। श्रमायुक्त अनिल कुमार का कहना है कि कर्मचारी हितों को देखते हुए प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। शासन में प्रस्ताव में अभी लंबित है।
बढ़ रही है अराजकता
तमाम लोगों ने कॉलोनियों को बेच दिया है। कॉलोनियों की रजिस्ट्री निबंधन कार्यालय में नहीं हुई है बल्कि लोगों ने स्टांप पेपर पर ही अनुबंध कर लिया है। आवंटियों ने कॉलोनियों को तोड़कर दो से तीन मंजिला मकान बना लिया है।
यहां हैं श्रमिक आवास
शास्त्री नगर में 5000, विष्णुपुरी में 1100, फहीमाबाद में 650, ईदगाह कालोनी में 1200, जूही लाल पीली कालोनी में 300, दादानगर में 1000, किदवई नगर में 2000, बाबूपुरवा में 2550 और जाजमऊ जेके कालोनी में 1500 श्रमिक आवास हैं।
पहले बना था ये फार्मूला
-मूल आवंटियों को तय होने वाली मौजूदा या 2010-11 के सर्किल रेट पर एकमुश्त रकम देने पर पचास फीस छूट का प्रस्ताव।
-मूल आवंटी को किस्तों में भुगतान की सुविधा।
-मूल आवंटी के रिटायर होने या न रहने पर आश्रित, बेटे या बेटी पर भी यही फार्मूला।
अवैध कब्जे के मामले में
-कॉलोनी का उपयोग निवास के लिए करने पर तय सर्किल रेट का डेढ़ गुना।
-निवास संग व्यावसायिक करने पर दूना सर्किल रेट।
- सिर्फ व्यावसायिक उपयोग वालों को ढाई गुना।