एनएसआइ और बीएचयू मिलकर बढ़ाएंगे इथेनॉल का उत्पादन,जल्द हो सकता है करार
बीएचयू तथा एनएसआई मिलकर इथेनॉल का उत्पादन बढ़ाएंगे। इसके लिये सोमवार को बीएचयू के कुलपति ने राष्ट्रीय शर्करा संस्थान का किया निरीक्षण कर यहां की तकनीक देखी। माना जा रहा है कि इस मामले में जल्दी ही दोनों संस्थानों के बीच करार हो सकता है।
कानपुर, जेएनएन। राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआइ) और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) इथेनॉल के उत्पादन के साथ ही चीनी के शीरे से अल्कोहल की मात्रा बढ़ाने के लिए मिलकर काम करेंगे। दोनों के बीच जल्द ही करार हो सकता है। सोमवार को बीएचयू के कुलपति डॉ. राकेश भटनागर ने एनएसआइ का निरीक्षण कर तकनीक की जानकारी ली। ऐसा होने पर दोनों संस्थानों की साख और बढ़ेगी साथ ही सरकार को भी काफी लाभ होगा।
बीएचयू के कुलपति डॉ. भटनागर एनएसआइ के ही पुरातन छात्र हैं। अपने पुराने संस्थान में आकर वह काफी खुश नजर आ रहे थे। उन्होंने यहां के लोगों से अपनी कुछ पूरानी यादें भी साझा कीं। जिससे माना जा रहा है कि जल्द ही नई योजना को अमली जामा पहनाया जा सकता है। जानकारों की मानी जाए तो बीएचयू के कुलपति श्री भटनागर ने संस्थान में सबसे पहले जैव रसायन, कार्बनिक रसायन, कृषि रसायन और शर्करा प्रौद्योगिकी अनुभाग की प्रयोगशालाओं में विकसित किए गए अनुसंधानों को देखा। गन्ने की बेकार खोई से निर्मित खाने युक्त फाइबर, बिस्कुट और अन्य मूल्यवॢधत वस्तुएं भी देखीं। एनएसआइ के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने उन्हेंं रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले गुड़, फ्लेवर्ड चीनी के बारे में जानकारी दी। चीनी और डिस्टिलरी उद्योग के लिए तैयार जीरो डिस्चार्ज तकनीक के बारे में बताया।
प्रो. मोहन के मुताबिक, चीनी के शीरे में खमीर की क्वालिटी जितनी बेहतर होगी, उतना ही अधिक अल्कोहल मिलेगा। खमीर की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए बीएचयू संग काम किया जाएगा। कृषि अवशेषों और किचन से निकलने वाले बेकार वस्तुओं से बायो गैस तैयार की जाएगी।