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भोले बाबा के दर्शन से पहले अव्यवस्थाओं से जूझते श्रद्धालु

्रआनंदेश्वर मंदिर में हर दिन दर्शनों के लिए पहुंचते हैं हजारों शहरवासी, अंदर से बाहर तक समस्याओं का अंबार।

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 Dec 2018 11:48 PM (IST)Updated: Mon, 10 Dec 2018 11:48 PM (IST)
भोले बाबा के दर्शन से पहले अव्यवस्थाओं से जूझते श्रद्धालु
भोले बाबा के दर्शन से पहले अव्यवस्थाओं से जूझते श्रद्धालु

जागरण संवाददाता, कानपुर : आनंदेश्वर मंदिर..। ऐसा स्थल, जो इस शहर के बाशिंदों के लिए आस्था का बड़ा केंद्र है। बड़ी संख्या ऐसे श्रद्धालुओं की है, जिनके दिन की शुरुआत परमट घाट स्थित इस मंदिर में बाबा आनंदेश्वर के दर्शन के साथ ही होती है। मगर, कैसी विडंबना है कि शांति, सुकून और आस्था का भाव लेकर मंदिर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को यहां तमाम अव्यवस्थाएं झेलनी पड़ती हैं। यह स्थिति तब है, जबकि शहर के कई जनप्रतिनिधि और अधिकारी भी यहां नियमित रूप से आते हैं। सुधार के वादे-दावे कई बार किए गए, लेकिन हालात जस के तस हैं। बेसहारा जानवर बने सिरदर्द

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आनंदेश्वर मंदिर के बाहर सड़कों से लेकर अंदर परिसर तक में बेसहारा जानवर धमाचौकड़ी मचाते रहते हैं। रास्ते में खड़ी गायें और सांड आने-जाने वाले श्रद्धालुओं पर हमला भी कर देते हैं। इसके साथ ही इनकी जानवरों की वजह से परिसर में गोबर की गंदगी पसरी रहती है। गाय और सांड के अलावा दर्जनों बंदर भी आतंक मचाते रहते हैं।

सड़े फूलों से उठती दुर्गध

मंदिर में जो भी फूल श्रद्धालु चढ़ाते हैं, वह सीढि़यों पर ही फेंक दिए जाते हैं। परिसर में सफाई की महज औपचारिकता होती है। यह फूल प्रतिदिन नहीं उठाए जाते। पड़े-पड़े सड़ते रहते हैं और उससे दुर्गध उठती है।

त्रिशूल तक ले जाते हैं वाहन

इस प्रमुख मंदिर के लिए कोई व्यवस्थित पार्किंग नहीं है। बाहर बेतरतीब गाड़ियां खड़ी होती हैं। कुछ भक्त अंदर त्रिशूल तक अपने दोपहिया वाहन ले जाते हैं। इसके अलावा दुकानदारों ने भी अव्यवस्था फैला रखी है। उन्होंने अपनी सीमा के बाहर तक दुकानें बढ़ा रखी हैं। फिर उसके सामने अपने वाहन भी खड़े करते हैं। इससे भीड़ अधिक होने पर भक्तों को आवागमन में काफी परेशानी होती है।

दिक्कतों के लिए भक्त भी जिम्मेदार

यहां आने वाले कई भक्त भी अव्यवस्थाएं फैलाते हैं। पार्किंग में मनमानी करने के साथ ही वह बाबा आनंदेश्वर के शिवलिंग को घेर कर आधा-आधा घंटे तक बैठे रहते हैं। कोई हटने के लिए कहे तो झगड़े पर उतारू हो जाते हैं। उनकी वजह से कई बार मंदिर के पट भोग के लिए तय समय पर बंद नहीं हो पाते। इसी अफरातफरी में अभिषेक के लिए लाया जाने वाला जल और दूध भक्तों के ऊपर ही गिर जाता है।

कारगर न हुए महापौर के प्रयास

महापौर प्रमिला पांडेय आनंदेश्वर मंदिर की अव्यवस्थाओं से बखूबी वाकिफ हैं, क्योंकि वह कई वर्षो से नियमित सुबह दर्शन के लिए पहुंच रही हैं। यही वजह है कि महापौर बनने के बाद सबसे पहले उन्होंने यहां की व्यवस्थाएं सुधारने के निर्देश नगर निगम के अधिकारियों को दिए थे। इसके बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं आया।

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'मंदिर में दर्शन को आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा होता जा रहा है। व्यवस्थाएं पहले से बेहतर की जानी चाहिए, लेकिन यहां तो पुराने इंतजाम ही ठीक से संचालित नहीं हो पा रहे।'

अंकित मिश्रा, साकेत नगर

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'बेसहारा जानवर मंदिर परिसर के बाहर से लेकर अंदर तक खड़े रहते हैं। उनकी बगल से गुजरते वक्त डर रहता है। वह कई बार भक्तों को टक्कर मार कर चोटिल कर देते हैं।'

प्रशांत मिश्रा, किदवई नगर

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'मंदिर परिसर पूरी तरह साफ-सुथरा होना चाहिए। हम अपने घरों में तो पूजा स्थल साफ रखते हैं, लेकिन यहां काफी गंदगी नजर आती है। भक्तों को भी इसका ध्यान देना चाहिए।'

अर्पित सिंह,गोविंद नगर

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'आनंदेश्वर मंदिर में दर्शन के लिए प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु आते हैं। उसे देखते हुए नगर निगम को पार्किंग की पर्याप्त व्यवस्थाएं होनी चाहिए। बीच रास्ते में वाहन खड़े रहते हैं।'

नकुल मिश्रा, बर्रा-2

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'शिवलिंग के इर्दगिर्द स्टील की रेलिंग ऊंची कर देनी चाहिए। वहां ऐसी व्यवस्था कर दी जाए कि भक्त बैठ न सकें। दर्शन कर कतार से आगे बढ़ते जाएं। तभी व्यवस्था सुधरेगी।'

शिवकुमार शुक्ला गोपाल,

महाबलीपुरम


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