बारिश और ओलावृष्टि बनी मुसीबत, कृषि विज्ञानी की सलाह जल निकासी पर ध्यान दें किसान, कीटनाशक का करें छिड़काव
जड़ों में आक्सीजन की कमी के कारण बुरा प्रभाव पड़ता है। विल्ट या अन्य रोगों से नुकसान का खतरा पैदा होता है। हालांकि वर्षा होना हमेशा अच्छा माना जाता है। विशेषकर बुंदेलखंड क्षेत्र में जहां वर्षा का बहुत महत्व हैं। हमारे भूमिगत जल में वृद्धि होती है।
बांदा, जागरण संवाददाता। बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में विज्ञान विभाग के प्रो. डा. जीएस पवार बताते हैं कि सर्दी में अचानक बदले मौसम से हल्की वर्षा का जहां लाभ होता है तो वहीं इस साल बीते चार दिनों में करीब 75 मिलीमीटर रिकार्ड की गई बारिश फसलों के लिए नुकसानदेह है। इतनी ज्यादा वर्षा को सिर्फ गेहूं की फसल ही सहन कर सकती है। सबसे अधिक नुकसान मसूर व मटर में होगा, जबकि अन्य दलहनी फसलों में जलभराव से नुकसान तय है। इसलिए किसान खेतों से जल निकासी पर विशेष ध्यान दें, जिससे ज्यादा नुकसान से बच सकें।
जड़ों में आक्सीजन की कमी के कारण बुरा प्रभाव पड़ता है। विल्ट या अन्य रोगों से नुकसान का खतरा पैदा होता है। हालांकि, वर्षा होना हमेशा अच्छा माना जाता है। विशेषकर बुंदेलखंड क्षेत्र में जहां वर्षा का बहुत महत्व हैं। हमारे भूमिगत जल में वृद्धि होती है। किसान खेतों में पानी न रुकने दें। सरसों में फूल अवस्था में फूलों के झडऩे से हानि होगा। देर से बोआई होने वाली फसलों के लिए पानी लाभदायक है। गेहूं की फसल में यह वर्षा लाभदायक होगी, लेकिन जल निकालना जरूरी है। जलभराव के कारण गेहूं की फसल में कहीं-कहीं पीलापन जरूर देखा जा सकता है, लेकिन मौसम साफ होने पर यह ठीक हो जाएगा। देर से बोआई वाली गेहूं की फसल में मौसम ठीक होने पर नाइट्रोजन की पूर्ति के लिए यूरिया का उपरिनिवेशन (छिड़काव) करें। वातावरण में नमी के कारण कोहरा पडऩे के भी आसार बढ़े हैं। इससे सरसों में माहू का प्रकोप बढ़ सकता है।