गोल्ड लोन मामले में दो की जमानत खारिज
आइसीआइसीआइ की बिरहाना रोड शाखा से लिया गया था लोन शाखा प्रबंधन ने जांच के बाद की थी पुष्टि
-आइसीआइसीआइ की बिरहाना रोड शाखा से लिया गया था लोन, शाखा प्रबंधन ने जांच के बाद की थी आभूषण फर्जी होने की पुष्टि जागरण संवाददाता, कानपुर : सोने की मोटी परत वाले जेवर से लोन लेकर धोखाधड़ी करने वाले दो आरोपितों की जमानत अर्जी विशेष न्यायाधीश ईसी एक्ट मोहम्मद शफीक की अदालत ने खारिज कर दी है। आरोपितों ने आइसीआइसीआइ की बिरहाना रोड शाखा से गोल्ड लोन लिया था। तीसरी बार गोल्ड लोन लेने के दौरान जांच में आभूषण फर्जी होने की पुष्टि हुई थी।
रेलबाजार के सुजातगंज निवासी मो. सिराजुद्दीन ने अपने साथी दिल्ली के ओखला निवासी रहीसुद्दीन मलिक के साथ 22 दिसंबर 2020 को बिरहाना रोड की आइसीआइसीआइ बैंक शाखा में गोल्ड लोन के लिए आवेदन किया था। बैंक ने 54.94 ग्राम सोने के जेवर गिरवी रखने के एवज में 2.02 लाख रुपये लोन दिया था। इसके बाद 28 दिसंबर को दोनों ने इसी बैंक से 181.61 ग्राम सोने के आभूषण पर 6.12 लाख रुपये का लोन लिया था। चार जनवरी को बैंक ने गोल्ड लोन का ऑडिट कराया तो गिरवी रखे गए सोने के आभूषण फर्जी पाए गए थे। आरोपित तीसरी बार बैंक पहुंचे तो कर्मचारियों ने उन्हें कलक्टरगंज पुलिस के सिपुर्द कर दिया था। इसके बाद बैंक प्रबंधक ने दोनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। सहायक शासकीय अधिवक्ता कैलाश शुक्ला ने बताया आरोपितों ने दिल्ली में भी बैंक से सोने की परत वाले जेवर गिरवी रखकर ठगी की थी। दोनों की जमानत पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने अर्जी खारिज कर दी।
ऐसे करते थे खेल
आरोपित जेवरों में सोने की मोटी परत चढ़वाते थे, ताकि प्राथमिक जांच के दौरान ये पता न चल सके कि आभूषण सोने के नहीं है। बैंक भी इसी के चलते धोखा खा गई।