राम मंदिर आंदोलन के समय अयोध्या के डीएम रहे रामशरण श्रीवास्तव का कानपुर में निधन
सेवानिवृत्त आइएएस रामशरण श्रीवास्तव ने श्रीराम मंदिर निर्माण आंदोलन पर अयोध्या एक दृष्टिकोण नाम से पुस्तक भी लिखी थी।
कानपुर, जेएनएन। सेवानिवृत्त आइएएस अफसर रामशरण श्रीवास्तव का मंगलवार सुबह हृदयगति रुक जाने से निधन हो गया। वे 87 वर्ष के थे। 1994 में सेवानिवृत्त होने के बाद वे भारत विकास परिषद से जुड़कर समाजसेवा में जुट गए थे। अयोध्या में जब श्रीराम मंदिर निर्माण को जब आंदोलन चरम पर था तब 17 जुलाई 1987 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने उन्हें फैजाबाद ( अब अयोध्या ) का डीएम बनाकर भेजा था। 19 जुलाई को उन्होंने पदभार ग्रहण किया था।
अयोध्या : एक दृष्टिकोण पुस्तक भी लिखी
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के आंदोलन, खोदाई के दौरान वहां मिले साक्ष्यों पर आधारित उन्होंने अयोध्या : एक दृष्टिकोण नाम पुस्तक भी लिखी। उन्होंने इस पुस्तक के माध्यम से ही लोगों को यह बताने का प्रयास किया कि मौके पर जो भी साक्ष्य खोदाई में मिले हैं वे वहां पर श्रीराम मंदिर की स्थापना को प्रमाणित करते हैं। अयोध्या विवाद पर उन्होंने तीन किताबें लिखीं और वे चौथी किताब मंदिर निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से ही लिख रहे थे।
साढ़े तीन साल रहे थे फैजाबाद के डीएम
मूलरूम से हमीरपुर जिले के कुरारा गांव निवासी रामशरण श्रीवास्तव 1664 में आइएएस अफसर बने थे। उनकी दो बेटियां प्रियंका व अवंतिका हैं। प्रियंका सिंगापुर व अवंतिका हैदराबाद में रहती हैं। पत्नी का देहांत हो चुका है। वे वाई ब्लाक किदवई नगर में भतीजे पीयूष श्रीवास्तव के साथ रह रहे थे। रामजन्म भूमि और बाबरी मस्जिद विवाद के समय वे साढ़े तीन साल तक फैजाबाद के डीएम रहे। सुप्रीम कोर्ट ने जब श्रीराम मंदिर निर्माण के पक्ष में फैसला सुनाया तो उन्होंने सुंदरकांड का सामूहिक पाठ भी कराया था। उनके द्वारा लिखी गई पुस्तक अयोध्या: एक दृष्टिकोण को साक्ष्य के रूप में श्रीराम मंदिर से जुड़े मुकदमे में भी प्रस्तुत किया गया था। भतीजे पीयूष ने बताया कि बुधवार सुबह आठ बजे शवयात्रा निकाली जाएगी और भैरोघाट पर अंतिम संस्कार किया जाएगा।