औरैया हादसा: शवों के साथ घायलों को भेजने में प्रशासन की चौतरफा किरकिरी, पांच लेखपाल निलंबित
हादसे में दिवंगत प्रवासी मजूदरों के शवों को वाहन बुक थे और पुलिसकर्मी व लेखपाल की पांच टीमों को पांच रूट पर जाने के निर्देश थे।
औरैया, जेएनएन। ट्राला और डीसीएम की शुक्रवार देर रात भिड़ंत में दिवंगत 26 मजदूरों के शवों को भिजवाने का मामला देश की सुखियां बना और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट करके अमानीवय कृत्य पर आपत्ति जताई तो जिला प्रशासन की चौतरफा किरकिरी शुरू हो गई है। प्रशासन ने आनन फानन पांच लेखपालाें को निलंबित कर दिया है, वहीं पुलिस महकमे में दारोगा और सिपाही समेत सात को निलंबित किया जा चुका है। प्रकरण की जांच एडीएम रेखा एस चौहान को सौंपकर रिपोर्ट तलब की गई है।
बोकारो निवासी घायल विकास कालिंद्री ने दैनिक जागरण को चित्र भेजकर अपना दर्द साझा किया था। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तक बात पहुंची तो उन्होंने भी शवों के साथ घायलों को बिठाकर भेजने को अमानवीय बताया था। उत्तर प्रदेश व बिहार सरकार से शवों को सम्मान के साथ झारखंड सीमा तक भिजवाने की गुजारिश की थी। सोमवार के अंक में यह खबर प्रकाशित हुई तो शासन-प्रशासन तक खलबली मच गई। इसपर शासन द्वारा जवाब तलब करने पर डीएम ने एडीएम को जांच सौंपी है।
डीएम अभिषेक सिंह के मुताबिक शवों के साथ घायल किन हालात में और किसने भेजे, इसकी जांच एडीएम द्वारा की जा रही है, दोषियों पर कार्रवाई होगी। शवों व घायलों को झारखंड तक पहुंचाने की जिम्मेदारी लेखपाल ललित प्रताप, भदोही तक शशिकांत, कुशीनगर तक अंकित अग्रवाल, बिहार तक भूपेंद्र व पश्चिम बंगाल तक की रॉकी को दी गई थी। सदर तहसीलदार राजकुमार चौधरी से स्पष्टीकरण में पता चला कि लेखपाल ड्यूटी पर नहीं गए। महामारी अधिनियम की धारा 56 व 57 का उल्लंघन तथा सरकारी आदेश न मानने का दंडनीय अपराध करने वाले पांचों लेखपालों को निलंबित कर दिया है। लेखपालों पर घायलों के खाने-पीने और वाहनों के तेल आदि की जिम्मेदारी थी। लेखपालों संग एक पुलिसकर्मी की भी ड्यूटी थी। एसपी सुनीति का दावा है कि सभी सिपाहियों ने पूरी ड्यूटी निभाई है।