ई-रिक्शा के बारे में कुछ नहीं जानते एआरटीओ
शहर में ई-रिक्शों की अराजकता कम होने का नाम नहीं ले रही है। आए दिन हादसे होते हैं।
जागरण संवाददाता, कानपुर : शहर में ई-रिक्शों की अराजकता कम होने का नाम नहीं ले रही है। आए दिन हादसे होते हैं। दिनभर यातायात नियमों को रौंदते हुए ई रिक्शा चालक फर्राटा भरते हैं और जिम्मेदार जानकारी ही नहीं रखते।
ई-रिक्शा के खिलाफ कार्रवाई तो दूर इन्हें नियंत्रित करने तक का कोई ठोस प्लान नहीं है। सबसे खास बात तो यह है कि सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी (एआरटीओ) के पास ई रिक्शा से संबंधित जानकारी तक नहीं है। यह चौंकाने वाला तथ्य सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में सामने आया है। इसमें पूछा गया था कि जिले में कुल कितने ई-रिक्शा हैं। कितने लाइसेंस बने हैं, प्रशिक्षित करने की क्या व्यवस्था है और कितने ट्रेनिंग स्कूल संचालित हैं। इसके जवाब में वे सिर्फ पंजीकृत ई-रिक्शों की जानकारी ही दे सके हैं। सिर्फ इतना बताया कि 27 नवंबर तक 9217 ई-रिक्शों का पंजीकरण हो चुका है। इन रिक्शों का रजिस्ट्रेशन कराया जा रहा है। यहां तक कार्रवाई की बात पर भी पल्ला झाड़ लिया और कहा कि यह उनके अनुभाग से संबंधित नहीं है।
पुलिस, प्रशासन, परिवहन विभाग फेल
पिछले साल और इस वर्ष भी संभागीय परिवहन प्राधिकरण (आरटीए) की बैठक में ई-रिक्शों के संचालन का मुद्दा उठा था, लेकिन उसका कोई हल नहीं निकला। पुलिस, प्रशासन, परिवहन विभाग फेल साबित हुआ।
नगर निगम से भी तालमेल नहीं
आरटीओ के प्रवर्तन दस्ते और ट्रैफिक पुलिस का नगर निगम से अब तक तालमेल नहीं बन सका है। नगर निगम को ई-रिक्शों के रूट तय करने की जिम्मेदारी मिली थी, लेकिन नतीजा सिफर रहा। मुख्य मार्ग पर रिक्शे फर्राटा भरते हैं।
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नियमों की उड़ाई जा रही धज्जियां
- आंशिक रूप से दिव्यांग चला रहे ई-रिक्शे
- गलियों में नाबालिगों के हाथों में हैंडल
- बैट्री बचाने के चक्कर में बिना लाइट जलाए भरते हैं फर्राटा
- भार क्षमता से अधिक भरी जा रहीं सवारियां
- बिना नंबर और फिटनेस के दौड़ रहे ई-रिक्शे
- शार्ट कट के चक्कर में विपरीत दिशा में लगाते हैं दौड़
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ई-रिक्शों का पंजीकरण किया जा रहा है। लाइसेंस का डाटा भी तैयार हो रहा है। कार्रवाई की जिम्मेदारी प्रवर्तन विभाग की है।
- आदित्य त्रिपाठी, एआरटीओ प्रशासन, कानपुर हर महीने ई-रिक्शों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। काफी संख्या में ई-रिक्शे थानों में सीज हैं। उनके निस्तारण के लिए प्रशासन को लिखा जा चुका है।'
- प्रभात पांडेय, एआरटीओ प्रवर्तन, कानपुर