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अनवरगंज-मंधना रेलवे ट्रैक हटने से रफ्तार पकड़ सकता है कानपुर, खुल जाएंगे औद्योगिक विकास के रास्ते

कानपुर शहर के विकास में अनवरगंज-मंधना रेलवे ट्रैक बाधक बना हुआ है। इस ट्रैक पर शहर के अंदर 18 रेलवे क्रासिंग हैं जिनके बंद होते ही जाम लगने से रफ्तार थम जाती है। इस समस्या के कारण नगर दो भागों में विभाजित है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 12:57 PM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2020 12:57 PM (IST)
अनवरगंज-मंधना रेलवे ट्रैक हटने से रफ्तार पकड़ सकता है कानपुर, खुल जाएंगे औद्योगिक विकास के रास्ते
कानपुर में जाम की समस्या का कारण है रेलवे ट्रैक।

कानपुर, जेएनएन। अनवरगंज-फर्रुखाबाद रेलवे ट्रैक का मंधना तक का हिस्सा शहर के विकास में बड़ी बाधा बन चुका है। अनवरगंज से मंधना तक ट्रैक हटाने से औद्योगिक विकास का मार्ग खुलने के साथ ही जाम और प्रदूषण से भी मुक्ति मिलेगी। गुमटी, कल्याणपुर, रावतपुर आदि बाजारों में कारोबार की स्थिति बेहतर बनेगी। वर्षों से इस ट्रैक को मंधना से मोड़कर पनकी के पास दिल्ली-हावड़ा रूट से मिलाने की बात हो रही है, लेकिन अब तक यह पूरी नहीं हो सकी।

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जनप्रतिनिधियों ने प्रयास तो किया, लेकिन जैसा होना चाहिए वैसा नहीं। श्रेय लेने की होड़ में सबने अलग-अलग रेल मंत्री से मुलाकात की। अगर वे एकजुट होकर प्रयास करते तो निश्चित रूप से अब तक इस ट्रैक से मुक्ति मिल गई होती। 10 साल पहले रेलवे ने तो मन भी बना लिया था, लेकिन यहीं के एक सांसद ने पुरजोर विरोध कर दिया और फिर फाइल बंद हो गई। इसके बाद सर्वे तो कई बार हुआ, लेकिन अंजाम तक नहीं पहुंचा।

शहर को दो हिस्सों में बांटता है ट्रैक

अनवरगंज-मंधना रेलवे ट्रैक शहर को दो हिस्सों में बांटता है। इसी के सामानांतर जीटी रोड भी है। स्थिति यह है कि कोरोना काल से पहले तक इस ट्रैक पर 50 से अधिक ट्रेनें चल रहीं थीं। जब स्थिति सामान्य होगी तो फिर इससे अधिक ट्रेनें चलेंगी, क्योंकि इस पर मेमू चलाने की बात भी हो रही है। कुछ नई ट्रेनों का भी इस रूट पर संचालन होना है। क्राङ्क्षसग जब भी बंद होती है तो जीटी रोड पर जाम के कारण आवागमन भी प्रभावित होता है। खासकर अनवरगंज की ओर से कल्याणपुर की ओर जाने वाली लेन ही सर्वाधिक प्रभावित होती है। अगर 10 मिनट के लिए भी एक बार क्राङ्क्षसग बंद हुई तो बड़ी संख्या में वाहन खड़े होने से जाम में फंसे लोग कई बार घंटों तक कराहते रहते हैं।

एंबुलेंस और अग्निशमन वाहन भी फंसते क्राङ्क्षसग बंद होने पर एंबुलेंस फंसने से कई बार गंभीर मरीजों की मौत तक हो जाती है। मार्च में ही सड़क हादसे में घायल दर्शनपुरवा निवासी आनंद को लेकर जा रही एंबुलेंस के क्रासिंग पर फंसने से उनकी मौत हो गई थी। गुमटी, फजलगंज, दादानगर, जरीब चौकी, गोङ्क्षवदनगर, बर्रा आदि क्षेत्रों में कहीं भीषण आग लगने पर कर्नलगंज समेत शहर के दूसरे हिस्से के फायर स्टेशनों से अग्निशमन वाहन पहुंचने में दिक्कत होती है।

एक तरफ सर्वे, दूसरी तरफ विद्युतीकरण रेलवे तीन बार इस ट्रैक को शिफ्ट करने का सर्वे करा चुका है, लेकिन उसकी नीयत में खोट नजर आती है। एक तरफ सर्वे हुआ तो दूसरी ओर इसे बड़ी लाइन में परिवर्तित करने के साथ ही इसका विद्युतीकरण भी कर दिया गया। अब दोहरीकरण की बात चल रही है। सवाल ये है कि सुविधाओं के नाम पर करोड़ों खर्च करने के बाद फिर ट्रैक शिफ्ट कैसे हो सकेगा।

नहीं बन सकता ओवरब्रिज

अनवरगंज से मंधना तक 18 रेलवे क्रासिंग हैं। जरीब चौकी, गुमटी, कोकाकोला, श्रम विभाग कार्यालय, रावतपुर, गीता नगर, शारदा नगर, पालीटेक्निक चौराहा के पास दो, दलहन अनुसंधान संस्थान, बगिया क्रासिंग, कल्याणपुर क्रासिंग, आइआइटी, गूबा गार्डन क्रासिंग व अन्य सभी क्रासिंग पर लंबा जाम लगता है। चार साल पहले रेल मंत्रालय ने शारदा नगर, गीता नगर, रावतपुर, कोकाकोला, गुमटी आदि क्रासिंगों पर ओवरब्रिज निर्माण को हरी झंडी दी थी, लेकिन सर्वे में इसकी फिजिबिलिटी नहीं मिली थी। अब रेलवे, सेतु निगम, पीडब्ल्यूडी और मेट्रो रेल कॉरपोरेशन की टीम के सर्वे में भी यह बात सामने आई है कि ओवरब्रिज बनाना संभव नहीं है। इसकी वजह सीवर और पेयजल लाइनें हैं। वहीं, आइआइटी कल्याणपुर से गोल चौराहा तक मेट्रो ट्रैक एलीवेटेड बनने से भी ओवरब्रिज बनने में बाधाएं आएंगी।

संसद में भी उठा मुद्दा

सांसद सत्यदेव पचौरी ने इस मुद्दे को संसद में उठाया था। इससे पहले सांसद रहते हुए श्रीप्रकाश जायसवाल भी मुद्दा उठा चुके हैं। सांसद देवेंद्र सिंह भोले, राज्यसभा सदस्य सुखराम सिंह और विधायक सुरेंद्र मैथानी ने भी खूब कोशिशें कीं। ये जनप्रतिनिधि रेल मंत्री से लेकर रेलवे बोर्ड अध्यक्ष तक से पत्राचार के साथ मुलाकात कर चुके हैं, लेकिन हर बार बात सिर्फ सर्वे के बाद खत्म हो जाती है। मंडलायुक्त ने भी इस ट्रैक को हटवाने के लिए शासन को कई बार पत्र लिखा।

आइआइटी के लिए जाम मुसीबत

जीटी रोड पर लगने वाले जाम की वजह से आइआइटी में भी अतिथि शिक्षक आने से कतराते हैं। यह मुद्दा कई बार मंडलायुक्त के यहां हुई बैठकों में भी उठ चुका है। यहां आने वाले अतिथि शिक्षक, प्रोफेसर व छात्र गेट पर ही जाम में फंसते हैं।

अब और जाम लगेगा

आइआइटी से गोल चौराहा तक निकट भविष्य में और जाम लगेगा। मेट्रो का ट्रैक बनने से जीटी रोड संकरी होने से यह स्थिति बनेगी। इसे चौड़ा करना भी मुश्किल होगा। पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता एसपी ओझा ने जीटी रोड को सिक्स लेन करने का प्रस्ताव भेजा है, लेकिन इसमें गोल चौराहा से रामादेवी तक का हिस्सा शामिल किया गया है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ट्रैक बनने से चौड़ाई नहीं बढ़ सकती है।

इन्होंने कही ये बात

  • पांच लाख से अधिक पोस्टकार्ड रेलवे को भेज चुका हूं। ट्रैक को हटाने की मांग को लेकर प्रदर्शन करता रहा हूं। जल्द ही पांच सौ मीटर लंबे बैनर पर हस्ताक्षर अभियान चलाकर उसे प्रधानमंत्री को भेजकर यहां के लोगों की भावनाओं से अवगत कराएंगे। - ज्ञानेश मिश्रा, प्रदेश महामंत्री अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल।
  • ट्रैक हट जाए तो शहर का उद्योग, व्यापार सब बेहतर हो जाएगा। जाम में फंसने के डर से ही बाहर के कारोबारी यहां आने से कतराते हैं। अब सांसदों और विधायकों को ज्ञापन सौंपा जाएगा। उन्हें इस ट्रैक को हटवाने के लिए बाध्य करेंगे। - शिवकुमार शुक्ल, उपाध्यक्ष, कानपुर उद्योग व्यापार मंडल।
  • ट्रैक को हटाने की जरूरत सरकारों को समझना चाहिए। इस ट्रैक की वजह से इसके किनारे की बाजारों के कारोबारी परेशान हैं। जाम की वजह से उनका कारोबार चौपट हो रहा है। सभी जनप्रतिनिधियों को संयुक्त रूप से प्रयास करना चाहिए। प्रशासन भी सक्रिय हो। - आरके सफ्फड़, समाजसेवी
  • समस्या समाधान के लिए जनप्रतिनिधियों की एकजुटता बहुत ही जरूरी है। सभी एक साथ मुख्यमंत्री और रेल मंत्री से मिलकर उन्हें शहर की सबसे बड़ी समस्या से अवगत कराएं, तभी यह कार्य हो पाएगा। यहां एकजुटता नहीं होना ही घातक है। - डॉ. अनूप जैन, उद्यमी

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