...तो हट सकता है अनवरगंज-मंधना रेलवे ट्रैक, रेलवे मुख्यालय से बोर्ड भेजी गई संस्तुति रिपोर्ट
कानपुर शहर के अंदर क्रासिंगों पर जाम लगने के कारण अनवरगंज-मंधना ट्रैक हटाने की मांग पर एनएच पीडब्ल्यूडी सेतु निगम और रेलवे सर्वे किया था। इसके बाद अक्टूबर 2020 में संयुक्त रिपोर्ट मुख्यालय भेजी गई थी जिसमें हटाने की संस्तुति की गई थी।
कानपुर, जेएनएन। अनवरगंज मंधना ट्रैक हटाने को लेकर भेजी गई रिपोर्ट अब रेलवे बोर्ड पहुंच चुकी है। रेलवे बोर्ड के निर्णय के बाद ही इस ट्रैक को हटाने का काम शुरू होगा इसके साथ ही मंधना से लाइन को पनकी तक जोड़ा जाएगा। अनवरगंज मंधना ट्रैक पर 18 रेलवे क्रासिंग हैं जो शहर को दो हिस्सों में बांटती है।
रेलवे क्रासिंग की वजह से लगने वाला जाम भी शहर के विकास के साथ ही आम शहरियों के आवागमन में बड़ी बाधा है। इसे देखते हुए बीते वर्ष अगस्त 2020 में एनएच पीडब्ल्यूडी के अधीक्षण अभियंता एसए उस्मानी की अध्यक्षता में सर्वे टीम गठित की गई थी। सर्वे टीम में रेलवे, सेतु निगम, मेट्रो के अधिकारी भी शामिल थे। अक्टूबर 2020 में एनएच पीडब्ल्यूडी के अधीक्षण अभियंता ने संयुक्त रिपोर्ट रेलवे मुख्यालय प्रयागराज भेजी थी जिसमें ट्रैक को हटाने की संस्तुति की गई थी। इसके साथ ही रेलवे लाइन को मंधना से पनकी जोड़ने की सिफारिश की गई थी।
मंधना से अनवरगंज के बीच क्रासिंग पर ओवरब्रिज बनाने को लेकर भी संयुक्त कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दी थी जिसमें ओवरब्रिज में आने वाली बाधाओं का जिक्र किया गया था। रेलवे के डिप्टी चीफ इंजीनियर जावेद खान ने बताया कि रिपोर्ट तब मुख्यालय भेज दी गई थी, जिसे अब मुख्यालय ने रेलवे बोर्ड भेज दिया है।
इन क्रासिंगों पर लगता है जाम : अनवरगंज मंधना रेलवे ट्रैक पर 18 क्रासिंग हैं। इनमें जरीब चौकी, तेजाब मिल कैंपस, गुमटी, कोकाकोला क्रासिंग, रावतपुर, गीता नगर, शारदा नगर, पॉलीटेक्निक चौराहा, दलहन अनुसंधान संस्थान, बगिया क्रासिंग और कल्याणपुर क्रासिंग पर सर्वाधिक जाम लगता है। कई बार क्रासिंग बंद होने से एंबुलेंस तक जाम में फंसती हैं और इलाज के लिए जा रहे मरीज इलाज मिलने से पहले दम तोड़ देते हैं। कोविड के चलते अभी स्कूल बंद हैं लेकिन जब स्कूल छूटते हैं तो जीटी रोड पर एक किमी तक लंबा जाम लग जाता है।
जमीन से रेलवे को होगा फायदा : एक अनुमान के मुताबिक अनवरगंज मंधना रेल ट्रैक खाली हुआ तो इसकी जमीन से होने वाली आय से रेलवे को करीब दो हजार करोड़ का फायदा होगा जबकि मंधना से पनकी तक ट्रैक बिछाने में 700 करोड़ रुपये के खर्च का ही अनुमान है। ऐसे में जहां रेलवे की मौजूदा जमीन को शॉपिंग कांप्लेक्स, बाजार, मल्टीस्टोर के तौर पर विकसित किया जा सकेगा वहीं जाम की सबसे बड़ी समस्या से मुक्ति मिल जाएगी।
संसद में भी उठ चुका है मुद्दा : सांसद सत्यदेव पचौरी ने अनवरगंज मंधना रेल लाइन का मुद्दा संसद में भी उठाया था। जिसके बाद गुमटी, कोकाकोला क्रासिंग समेत आसपास के व्यापारियों ने भी इसे जनआंदोलन बना लिया। हाल ही में पोस्टकार्ड हस्ताक्षर अभियान चलाकर भी राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और रेलमंत्री को भेजे गए ताकि रेलवे लाइन हटाने का निर्णय लिया जाए।