Anti Sikh Riots Kanpur: एसआइटी ने पूर्व पार्षद के भाइयों समेत चार दबोचे, किदवई नगर और दबौली से उठाया
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के सिख विरोधी दंगे में कानपुर में मारे गए लोगों के परिवारों को इंसाफ की उम्मीद जागी है। निरालानगर हत्याकांड के बाद दूसरे मामलों में गिरफ्तारियां शुरू हो गईं हैं।
कानपुर, जागरण संवाददाता। सिख विरोधी दंगा की जांच कर रही एसआइटी (विशेष जांच दल) ने मंगलवार देर रात से बुधवार रात तक 24 घंटे में पूर्व पार्षद मनीष शर्मा के दो भाइयों समेत चार को गिरफ्तार कर लिया। पूर्व पार्षद के दोनों भाई दबौली हत्याकांड और अन्य दोनों आरोपित के ब्लाक किदवई नगर हत्याकांड में नामित थे। एसआइटी अभी तक निरालानगर हत्याकांड से जुड़े आरोपियों को गिरफ्तार कर रही थी, लेकिन मंगलवार रात से अन्य मामलों से जुड़े आरोपितों की गिरफ्तारियां शुरू की।
31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कानपुर में भी सिख विरोधी हिंसा हुई थी, जिसमें 127 सिखों की हत्या हुई थी। शासन के आदेश पर मामले में एसआइटी जांच की जा रही है। पिछले दिनों में एसआइटी ने सिख विरोधी दंगे से जुड़े आरोपितों की गिरफ्तारी शुरू की थी। पहले चरण में निराला नगर हत्याकांड से जुड़े 11 आरोपितों को गिरफ्तार कर अब तक जेल भेजा जा चुका है। प्रकरण में 27 आरोपियों को चिन्हित किया गया है, जिसमें राघवेंद्र सिंह का नाम भी है। मंगलवार देर रात एसआइटी ने राघवेंद्र सिंह से जुड़े करीब आधा दर्जन ठिकानों पर छापेमारी की लेकिन वह नहीं मिला। वहीं दूसरी ओर एसआइटी की एक अन्य टीम ने शहर में के ब्लाक किदवई नगर हत्याकांड से जुड़े दो आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया। प्रकरण की जांच सब इंस्पेक्टर सूर्य प्रताप सिंह कर रहे हैं। एसआइटी के डीआइजी बालेंदु भूषण ने बताया की देर रात हुई छापेमारी में पुलिस ने के ब्लाक किदवई नगर हत्याकांड के मामले में स्थानीय निवासी गोपाल गुप्ता उर्फ बब्बू गुप्ता और यशोदा नगर निवासी जितेंद्र कुमार तिवारी को गिरफ्तार किया है। दोनों को अदालत में पेश किया गया, जहां से उनको जेल भेज दिया गया। बुधवार रात को एसआइटी ने दबौली हत्याकांड से जुड़े आरोपित पूर्व पार्षद मनीष शर्मा के भाई भरत शर्मा और योगेश शर्मा को गिरफ्तार कर लिया।
36 साल से बंद मकान की दीवार और फर्श ने दी थी गवाही
किदवई नगर में एक नवंबर 1984 को आक्रोशित भीड़ ने के ब्लाक स्थित एक मकान में धावा बोलकर शार्दुल सिंह और गुरुदयाल सिंह की हत्या कर दी। शार्दुल सिंह का मकान था, जिनसे मिलने के लिए पड़ोस के गुरुद्वारा के सेवादार गुरुदयाल सिंह आए थे। मामले में शार्दुल सिंह के जालंधर निवासी भाई पुरुषोत्तम सिंह ने 13 लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया था। उस वक्त यह पहला मामला था, जिसमें नामजद मुकदमा दर्ज हुआ था। वादी ने अपनी तहरीर में एसके ड्राई क्लीनर्स, बाबा होटल वाला, तिवारी पान वाले और उसके दो भाई, हींग वाला, तिवारी पान वाले के घर के पीछे सब्जी वाला, विजय ज्वैलर्स, सिद्ध गृहस्थी वाला, कन्हैया त्रिवेदी के मकान के पीछे वाला, मेडिकल स्टोर वाला, बिजली की दुकान वाला, रेलवे गार्ड को आरोपित बनाया था। इसमें से रेलवे गार्ड, एसके ड्राई क्लीनर्स, तिवारी पान वाले के एक भाई, बाबा होटल व एक अन्य की मृत्यु हो चुकी है। यह मामला डेढ़ साल पहले उस वक्त चर्चाओं में आया था, जब फोरेंसिक टीम ने 36 सालों से बंद पड़े मकान की दीवारों व फर्श का बेंजाडीन टेस्ट किया तो मानवरक्त मिलने की पुष्टि हुई थी।
सात लोगों को जलाया था जिंदा
ई ब्लाक दबौली में आक्रोशित भीड़ ने एक ही परिवार के विशाखा सिंह, उनकी पत्नी सरन कौर, बेटी गुरुवचन सिंह, बेटे जोगिंदर, गुरुचरन, छत्रापाल सिंह व गुरुमुख को जिंदा जला दिया गया था। इस मामले में परिवार के दो सदस्य जिंदा बच गए। विशाखा के बेटे अवतार सिंह ने मुकदमा दर्ज कराया और कोर्ट में गवाही देकर सात दंगाइयों के नाम खोले। इनमें से तीन की मौत हो चुकी है। गिरफ्तार भरत शर्म व योगेश शर्मा को मुख्य आरोपित बताया गया है। वहीं पुलिस रिकार्ड में दोनों भाईयों पर पहले भी मुकदमे दर्ज हैं। जुआं खिलाने में कई बार पकड़े गए। एक रैकेट कांड में भी परिवार के लोगों के नाम आए थे। घड़ी चोरी के मामले में उक्त को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। पहले यह परिवार दबौली चौराहे पर चाय की दुकान चलाता था और बाद में आकूत संपत्ति पैदा कर ली। भरत शर्मा का नाम कई बार शहर में हुई विभिन्न हत्याकांडों में सामने आया, लेकिन कभी इन मामलों में गिरफ्तारी नहीं हुई और न आरोपित बना।