अमर सिंह की कानपुर से जुड़ीं कुछ मीठी तो कुछ कड़वी यादें, अमिताभ बच्चन को लाए थे शहर
Amar Singh Death News जनरलगंज विधानसभा क्षेत्र से सुरेंद्र मोहन अग्रवाल चुनाव लड़ते थे और चुनाव से पहले फूलबाग में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया था।
कानपुर, जेएनएन। पूर्व सपा नेता और राज्यसभा सदस्य अमर सिंह का कानपुर से गहरा नाता रहा। जिले के कई समाजवादी नेता उनके करीबी थे, जिसकी वजह से उनका आना जाना कानपुर लगा रहा, लेकिन इन सब मीठी यादों के बीच अमर सिंह की कानपुर से कड़वी यादें भी जुड़ी हैं। 2009 में बाबूपुरवा थाने में अमर सिंह के खिलाफ फर्जीवाड़ा करने, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और प्रोबेशन ऑफ मनी लांड्रिंग के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। इसकी आंच सदी के महानायक अमिताभ बच्चन तक भी पहुंची थी।
अमिताभ व जया को फूलबाग लाए थे अमर
फिल्मी दुनिया और राजनीति को करीब से समझने वाले अमर सिंह की सपा के मुखिया रहे मुलायम सिंह यादव से बहुत अधिक निकटता थी। यूं तो अमर सिंह कानपुर कई बार आए, लेकिन 2002 में फूलबाग में आयोजित रक्तदान शिविर में वह अमिताभ और जया बच्चन को लेकर आए थे। इसे गैर राजनीतिक कार्यक्रम कहा गया था, लेकिन मंच पर उनके साथ मुलायम सिंह यादव भी थे। वर्ष 2002 में विधानसभा चुनाव से कुछ पहले की बात है। सुरेंद्र मोहन अग्रवाल जनरलगंज विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ते थे। वह आल इंडिया उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी थे। चुनाव से पहले इस व्यापारिक संगठन ने फूलबाग में रक्तदान शिविर का आयोजन किया। फूलबाग जनरलगंज विधानसभा क्षेत्र में आता था। नानाराव पार्क में अमिताभ बच्चन, जया और अमर सिंह का हेलीकाप्टर उतरा था।
शिवाकांत त्रिपाठी ने दर्ज कराया था मुकदमा
बाबूपुरवा थाने में 15 अक्टूबर 2009 को श्याम नगर निवासी शिवाकांत त्रिपाठी ने अमर सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। इसमें उनकी पत्नी पंकजा सिंह तथा फिल्म स्टार अमिताभ बच्चन को भी आरोपित बनाया गया था। मामला दर्ज होने के लगभग एक माह के भीतर ही कानपुर पुलिस ने जांच में दिक्कतों का जिक्र करते हुए एक पत्र डीजीपी कार्यालय को भेजा था। दिसंबर 2009 में जांच आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्लू) को सौंप दी गई। 28 अक्टूबर 2012 को ईओडब्लू से वापस जांच बाबूपुरवा के सीओ पवित्र मोहन त्रिपाठी को सौंपी गई। सीओ ने 31 अक्टूबर को वादी शिवाकांत के बयान दर्ज किए और एक नवंबर 2012 को फाइनल रिपोर्ट लगा दी। वादी शिवाकांत की ओर से 5 नवंबर 2012 को अदालत में प्रोटेस्ट पिटीशन फाइल की गई गई। हालांकि बाद में यह मामला ठंडा पड़ गया और फाइनल रिपोर्ट लग गई थी।
यह थे आरोप
वर्ष 2003 से 2007 तक सपा सरकार में उत्तर प्रदेश विकास परिषद के अध्यक्ष रहे अमर सिंह को उस समय कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त था। अमर सिंह और उनकी पत्नी पर आरोप था कि उन्होंने 500 करोड़ के काले धन को सफेद करने के मकसद से 55 कंपनियां रजिस्टर्ड करा ली थीं। इनमें ज्यादातर कंपनियां कोलकाता में रजिस्टर्ड हुई थीं, जिनको बाद में अमर सिंह ने अपनी कंपनी पंकजा आर्ट प्राइवेट लिमिटेड में मर्ज करा लिया था। इससे उनकी कंपनी को एक माह में 500 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ था।
निधन पर जताया शोक
व्यापार मंडल के अध्यक्ष सुरेंद्र मोहन अग्रवाल ने अमर सिंह के निधन पर शोक जताया और कहा, वह बेबाक तरीके से बात रखने वाले नेता थे, ऐसे नेता जल्दी नहीं होते। सांसद सत्यदेव पचौरी ने उनके निधन पर कहा कि वे साहसी नेता थे और मुलायम सिंह यादव को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने में उनका योगदान था। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के महानगर अध्यक्ष आशीष चौबे ने कहा कि उन्होंने लंबे समय तक मुलायम सिंह यादव व शिवपाल सिंह यादव के निकट रहकर संगठन को मजबूत किया।