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खेत की सिंचाई में पानी की बर्बादी रोकेगी सेंसर आधारित डिवाइस, पहले ही बता देगी मिट्टी की नमी

कानपुर में डा. अंबेडकर इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी फार हैंडीकैप्ड के विद्यार्थियों ने सेंसर आधारित डिवाइस बनाई है जो मिट्टी की नमी के बारे में जानकारी देगी। इससे खेतों में फसल की सिंचाई के लिए पानी की जरूरत का भी पता चल सकेगा। इससे सिंचाई में पानी की बर्बादी कम होगी।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Thu, 19 May 2022 09:37 AM (IST)Updated: Thu, 19 May 2022 09:37 AM (IST)
खेत की सिंचाई में पानी की बर्बादी रोकेगी सेंसर आधारित डिवाइस, पहले ही बता देगी मिट्टी की नमी
कानपुर के एआइटीएच के छात्रों ने डिवाइस बनाई है।

कानपुर, चंद्रप्रकाश गुप्ता। अक्सर अनजाने में किसान जरूर के बिना भी खेत की संचाई कर बैठते हैं, ऐसे में अक्सर फसल खराब होने के साथ पैदावर भी प्रभावित हो जाती है। इतना ही नहीं सिंचाई में हजारों लीटर पानी की भी बर्बादी होती है। पानी की इस बर्बादी को रोकने के लिए डा. अंबेडकर इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी फार हैंडीकैप्ड (एआइटीएच) के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के छात्र-छात्राओं ने सेंसर आधारित एक ऐसी डिवाइस बनाई है, जो सिंचाई के पहले ही खेत की नमी बता देगी। इससे पता चल जाएगा कि खेत को सिंचाई की जरूरत है या नहीं। इसके अलावा अगर सिंचाई की जरूरत है तो पौधों या फसल को कितना पानी देना है। 

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विभिन्न पौधों को जीवित रहने के लिए पानी की कितनी जरूरत होती है और आवश्यकतानुसार उनमें कितनी सिंचाई करनी चाहिए। इस बात की जानकारी अब इस डिवाइस की मदद से मिलेगी। सेंसर आधारित डिवाइस मिट्टी के अंदर नमी का सटीक पता लगेगा। विद्यार्थियों ने प्रोटोटाइप तैयार किया है और फसलों का ब्योरा जुटाने के साथ एप्लीकेशन बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

मूलरूप से पटना के हनुमान नगर की रहने वाली शिवांगी कुमारी संस्थान से केमिकल इंजीनियरिंग प्रथम वर्ष की छात्रा है। उन्होंने बताया कि विभिन्न फसलों के लिए पानी की एक निश्चित मात्रा की जरूरत होती है। कम या ज्यादा होने पर भी फसलों को नुकसान होता है। पानी की अधिकता से पौधों को मरते देख सेंसर आधारित डिवाइस बनाने का ख्याल आया तो सहपाठियों हिमांशी कुशवाहा, निहारिका गौर, संदीप यादव व अमृत सिंह की मदद ली। सबसे पहले मिट्टी की नमी मापने का उपकरण तैयार किया। यह उपकरण सूखी, गीली मिट्टी के साथ ही कीचड़ में भी नमी का सही ब्योरा देता है।

शिवांगी व उनकी टीम ने संस्थान में ही लगे फूलों के विभिन्न पौधों की जड़ों पर डिवाइस को लगाकर नमी को रिकार्ड किया। अब खेतों पर जाकर यह टीम विभिन्न फसलों की जड़ों से भी नमी का डाटा एकत्र कर रही है। शिवांगी ने बताया कि डाटा जुटाने के बाद सभी तरह की फसलों के लिए जरूरी नमी का आंकलन करने के साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तकनीक से एक मोबाइल एप (एप्लीकेशन) भी विकसित किया जाएगा। इसकी मदद से लोगों को घर बैठे फसलों के नीचे लगे सेंसर की मदद से फसल के मुताबिक मिट्टी की नमी का आकलन करने में मदद मिलेगी। एप बताएगा कि किसान के खेत की मिट्टी में नमी की मात्रा फसल के मुताबिक है या नहीं। इससे उन्हें सिंचाई करने में मदद मिलेगी।

-विद्यार्थियों की तकनीक भविष्य में किसानों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकती है। किसान को खेत में जाए बगैर ही सिंचाई की जरूरत है या नहीं, इसका पता लग सकेगा। यही नहीं, फसल में कितनी मात्रा में सिंचाई करनी है, यह भी मालूम हो जाएगा। इससे समय के साथ पानी की बर्बादी से भी निजात मिलेगी। साथ ही फसलों की पैदावार बढ़ेगी। -डाॅ. रचना अस्थाना, निदेशक एआइटीएच


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