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कानपुर में जिस रफीक को ओवैसी ने बताया था बेचारा असल में निकला अपराधी, पढ़ें क्या है पूरा सच

आल इंडिया मजलिस-ए- इत्तेहादुल मुस्लिमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कानपुर में रैली की थी। उस जनसभा में ओवैसी द्वारा कहे गए भाषण के कुछ अंश अब वायरल हो रहे हैं। उनमें से प्रमुख रूप से दो बातें सामने आई हैं।

By Shaswat GuptaEdited By: Published: Sun, 26 Dec 2021 08:46 PM (IST)Updated: Sun, 26 Dec 2021 08:46 PM (IST)
कानपुर में जिस रफीक को ओवैसी ने बताया था बेचारा असल में निकला अपराधी, पढ़ें क्या है पूरा सच
आल इंडिया मजलिए इत्तेहादुल-ए- मुस्लिमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी।

कानपुर, जागरण संवाददाता। आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कानपुर में हुई जनसभा में झूठ परोसा था। ओवैसी ने अपने भाषण में कानपुर देहात के रसूलाबाद निवासी जिस रफीक को बेचारा बताकर उसकी तरफदारी की और आरोप लगाया था कि पुलिस ने उसका उत्पीडऩ किया, वह एक शातिर अपराधी है। यही नहीं दहेज प्रताड़ना के मामले में पुलिस जब उसे पकड़ने गई तो उसने गुर्गों संग हमला करके दारोगा और सिपाही को घायल कर दिया था। 

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इंटरनेट मीडिया पर दो वीडियो वायरल हैं, यह वीडियो कानपुर में 12 दिसंबर को जीआइसी में आयोजित जनसभा के बताए जा रहे हैं। इनमें ओवैसी के भाषण के कुछ अंश हैं। दैनिक जागरण इस वीडियो की पुष्टि नहीं करता। वीडियो में प्रमुख रूप से दो बातें सामने आई हैं। एक में ओवैसी भाजपा समर्थकों को धमकी देते हुए कह रहे हैं कि जब योगी अपने मठ और मोदी पहाड़ चले जाएंगे तो उन्हें कौन बचाएगा। दूसरे में वह रसूलाबाद के रफीक को लेकर दावा कर रहे हैं कि पुलिस ने उसका उत्पीड़न किया। जहां पहले वायरल वीडियो में वह धमकी के अंदाज में दिखे, वहीं रफीक मामले में वह अपने समाज को एकजुट करते दिखे। असल में रफीक की जो कहानी उन्होंने सुनाई वह झूठी है। असलियत यह है कि रफीक शातिर अपराधी है, जिस पर आठ से 10 मुकदमे हैं। उसका पुलिस ने उत्पीड़न नहीं किया था, बल्कि उसने पुलिस पर हमला बोल चौकी प्रभारी व एक सिपाही को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। 

यह था पूरा प्रकरण : भीखदेव गांव निवासी अजमत की पत्नी शाह बेगम ने करीब दो वर्ष पूर्व दहेज उत्पीड़न का मुकदमा पति व आरोपित ससुर रफीक उर्फ हक्कल पर दर्ज कराया था। 18 मार्च 2021 को शाह बेगम ने उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की सदस्य पूनम कपूर के सामने आरोपित ससुर की गिरफ्तारी न होने का मामला उठाया था। इस पर पुलिस ने रफीक को हिरासत में लिया, मगर समझौते की बात सामने आने के बाद छोड़ दिया। इसके बाद 20 मार्च को शाह बेगम को लेकर चौकी इंचार्ज गजेंद्र पाल हमराह सिपाहियों संग भीखदेव पहुंचे थे। ससुराल में शाह बानो को रुकना था। बातचीत शुरू होते ही आरोपितों के अलावा घर की महिलाओं ने पुलिस टीम व शाह बेगम पर हमला कर दिया। हमले से बचाव में पुलिस को गोलियां चलानी पड़ीं। हालांकि, चौकी प्रभारी दो सिपाही और शाह बेगम गंभीर रूप से घायल हो गए थे। घायल पुलिसकर्मियों की हालत खराब होने पर उन्हें कानपुर के रीजेंसी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था।


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