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कानपुर: जीएसवीएम में बनेगी एडवांस रिसर्च लैब, कैंसर और ट्यूमर की जांच और इलाज होगा संभव

मेडिकल कालेज के पैथालाजी विभाग में एडवांस रिसर्च लैब तैयार कराई जा रही है। इसमेंं पैथालाजी विभाग की नई ब्रांच इम्यूनो हिस्ट्रो केमिस्ट्री की शुरुआत की जाएगी जहां ट्यूमर और कैंसर से जुड़े सभी एडवांस कैंसर मार्कर की जांच संभव होगी।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Mon, 29 Nov 2021 08:26 AM (IST)Updated: Mon, 29 Nov 2021 08:26 AM (IST)
कानपुर: जीएसवीएम में बनेगी एडवांस रिसर्च लैब, कैंसर और ट्यूमर की जांच और इलाज होगा संभव
पैथालाजी विभाग में एडवांस रिसर्च लैब तैयार कराई जा रही है।

कानपुर, जागरण संवाददाता। जीएसवीएम मेडिकल कालेज में एडवांस रिसर्च लैब बनाने की तैयारी शुरू हो गई है। इस लैब में कैंसर और ट्यूमर पीड़ितों की बायोप्सी की जांच करा इलाज और उसके निदान का पता लगाना संभव होगा। अभी तक यहां जांच की सुविधा नहीं थी, जिससे मरीजों को लखनऊ, दिल्ली व मुंबई तक भटकना पड़ता था। पैथालाजी विभागाध्यक्ष का दावा है कि एक माह में मरीजों को सुविधा मिलने लगेगी।

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मेडिकल कालेज के पैथालाजी विभाग में एडवांस रिसर्च लैब तैयार कराई जा रही है। इसमेंं पैथालाजी विभाग की नई ब्रांच इम्यूनो हिस्ट्रो केमिस्ट्री की शुरुआत की जाएगी, जहां ट्यूमर और कैंसर से जुड़े सभी एडवांस कैंसर मार्कर की जांच संभव होगी। इसके आधार पर कैंसर व ट्यूमर की स्थिति का पता चलेगा। अभी तक यहां जांच की सुविधा नहीं थी।

यह मार्कर स्तन कैंसर के कारक: स्तन कैंसर या ट्यूमर का पता लगाने के ईआर मार्कर, पीआर मार्कर और एचईआर-टू/नेयू मार्कर हैं, जो कैंसर की स्थिति और उसके निदान के बारे में जानकारी देते हैं। तीनों मार्कर की रिपोर्ट निगेटिव आने का मतलब है कि कैंसर या ट्यूमर घातक है। इसे ट्रिपल निगेटिव कैंसर कहते हैं। इसी तरह ईआर व पीआर मार्कर की रिपोर्ट पाजिटिव आती है तो कैंसर घातक नहीं है। इसमें हार्मोंस थेरेपी संभव है।

इपिथिलियल व मेंसेनकाइमल ट्यूमर: पैन सीके कैंसर मार्कर पैनल और सीके-7 कैंसर मार्कर जब कैंसर टिश्यू व ट्यूमर ब्लाक में डालकर स्टेन करते हैं। इसके आधार पर ही इपिथिलियल और मेंसेनकाइमल ट्यूमर को अलग-अलग करते हैं। जांच में पैन सीके और सीके-7 कैंसर मार्कर पाजिटिव आने पर इपिथिलियल ट्यूमर है। यह त्वचा, खून की नलिकाओं या मूत्र मार्ग आदि में होता है। रिपोर्ट निगेटिव आने पर मेंसेनकाइमल ट्यूमर है। सीडी-45 कैंसर मार्कर से लिम्फोड ट्यूमर का पता लगाया जाता है। आंतों में लिम्फोमा व ट्यूमर का पता लगाने के लिए सीडी-3 और सीडी-20 मार्कर का इस्तेमाल स्टेन में किया जाता है। सीडी-3 टी कोशिकाओं व सीडी-20 बी कोशिकाओं की पाजिटिविटी देता है। शरीर के किसी भी भाग के लिम्फोमा की जांच में इसका इस्तेमाल किया जाता है।

एस-100 मार्कर से ब्रेन ट्यूमर का पता: एस-100 कैंसर मार्कर से ब्रेन ट्यूमर का पता लगाया जाता है। इसमें न्यूरो फाइब्रोमा, मलिगनेंट माइलोमा आदि हैं।

यह हैं इम्यूनो हिस्ट्रो केमिस्ट्री मार्कर: हिस्ट्रोजन रिसेप्टर (ईआर), प्रोजेस्टान रिसेप्टर (पीआर), एचईआर-2/नेयू, एस-100, साइटो केरेटिन (सीके-7), पैन-सीके, डेसमिन एंड विमेनटिन, सीडी-45, सीडी-3, सीडी-20, ग्लायल फिब्रिल्लैरी एसिडिक प्रोटीन (जीएफएपी)।

क्या बाेले जिम्मेदार: एडवांस रिसर्च लैब में कैंसर एवं ट्यूमर पर रिसर्च संभव होगा। साथ ही मरीजों को सुविधा का लाभ मिलेगा। उन्हें लखनऊ, दिल्ली व मुंबई के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। तेजी से फैलने वाले मेटास्टेटिक ट्यूमर के बनने की वजह का भी पता लगा सकेंगे।  प्रो. सुमनलता वर्मा, विभागाध्यक्ष पैथालाजी, जीएसवीएम


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