अभी कोविड हॉस्पिटल को न करें डिस्टर्ब
सरकारी एवं प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में बनाए गए कोविड हॉस्पिटलों को डिस्टर्ब न करें बल्कि जो कमियां रह गई हैं उन्हें पूरा कर लिया जाए।
जागरण संवाददाता, कानपुर : सरकारी एवं प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में बनाए गए कोविड हॉस्पिटलों को डिस्टर्ब न करें, बल्कि जो कमियां रह गई हैं उन्हें पूरा कर लिया जाए। दीपावली के बाद से लेकर दिसंबर तक कोरोना की सेकेंड पीक आने की संभावना जताई जा रही है। इसके लिए अभी से सतर्क हो जाएं और उसके अनुरूप तैयारी में जुट जाएं। यह निर्देश मंगलवार को वीडियो कांफ्रेंसिग से समीक्षा के दौरान अपर मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा डॉ. रजनीश दुबे ने राजकीय एवं निजी मेडिकल कॉलेजों के अधिकारियों को दिए।
उन्होंने कहा कि सेकेंड पीक आने से पहले प्रदेश में पांच हजार आइसीयू के बेड का लक्ष्य भी पूरा कर लिया जाए, इसमें किसी तरह की हीलाहवाली बर्दाश्त नहीं की जाएगी। ये मत समझें कि कोरोना अब खत्म हो गया। वायरस कमजोर पड़ा है, लेकिन खत्म नहीं हुआ है। इसलिए यह दिमाग से निकाल दें कि कोविड हॉस्पिटलों को बंद कर नॉन कोविड में इस्तेमाल शुरू कर दें। कोविड हॉस्पिटल वैसे ही रहेंगे, जैसे पहले थे। इस दौरान कलेक्ट्रेट के एनआइसी सभागार में प्राचार्य प्रो. आरबी कमल, उप प्राचार्य प्रो. रिचा गिरि, प्रमुख अधीक्षक डॉ. ज्योति सक्सेना, डॉ. मनीष सिंह, डॉ. अनिल वर्मा, डॉ. चंद्रशेखर सिंह, डॉ. अनंत सचान मौजूद रहे।
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ओपीडी के लिए अलग हेल्प डेस्क बनाएं
डॉ. दुबे ने कहा कि चरणबद्ध तरीके से ओपीडी सेवाएं शुरू करें। दूर-दराज से आने वाले आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए अलग से ओपीडी हेल्प डेस्क बनाएं। जो ईमेल या फोन से अप्वाइंटमेंट नहीं ले सकते, ऐसे मरीजों का हेल्प डेस्क के माध्यम से पंजीकरण कराएं। उन्हें उसी दिन या अगले दिन डॉक्टर को दिखाने की व्यवस्था सुनिश्चत कराएं।
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प्राइवेट में अलग भवन में चलाएं ओपीडी
निजी मेडिकल कॉलेज के संचालकों ने कोविड के केस कम होने पर नॉन कोविड की ओपीडी शुरू करने की अनुमति मांगी। डॉ. दुबे ने कहा कि अगर नॉन कोविड की ओपीडी चलानी है तो अलग भवन में चलाएं। कोविड हॉस्पिटल अलग रहेंगे।
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इंटर्नल वर्चुअल राउंड लेने पर जोर
अपर मुख्य सचिव ने कहा कि संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान की तर्ज पर कोविड आइसीयू एवं आइसोलेशन वार्ड का वरिष्ठ चिकित्सक इंटर्नल वर्चुअल राउंड रोजाना लें। आइसीयू या आइसोलेशन वार्ड में मरीजों के पास जाकर मोबाइल या कैमरे के जरिए अंदर मौजूद डॉक्टर उनकी एक-एक कर समस्या बताएंगे। कोविड हॉस्पिटल के बाहर मौजूद वरिष्ठ डॉक्टर उनका निराकरण करेंगे। इसमें आइसीयू के अंदर अधिक डॉक्टरों को जाने की जरूरत भी नहीं होगी। इसमें मरीजों पर पर्याप्त समय दिया जाए।
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एक नवंबर से एमबीबीएस की पढ़ाई
उन्होंने कहा कि एक नवंबर से एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्र-छात्राओं की पढ़ाई हर हाल में शुरू कराएं। उनके क्लास एवं प्रैक्टिकल कराएं ताकि जनवरी में परीक्षाएं कराई जा सकें।