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#Good News: आइआइटी कानपुर में 5G Mobile नेटवर्क की टेस्टिंग शुरू, 2021 में मिल सकती है सुविधा

आइआइटी कानपुर मद्रास और बांबे मिलकर नेटवर्क परीक्षण का काम कर रहे हैं। इसमें मल्टीपल यूजर के लिए कॉलिंग व डेटा ट्रांसफर सिस्टम को परखा जा रहा है। करीब पांच महीने पहले कॉल टेस्टिंग का परीक्षण सफलता पूर्वक किया गया था।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Sat, 28 Nov 2020 09:56 AM (IST)Updated: Sat, 28 Nov 2020 09:56 AM (IST)
आइआइटी कानपुर में 5जी नेटवर्क को विकसित कर लिया गया है।

कानपुर, [शशांक शेखर भारद्वाज]। देश भर के मोबाइल उपभोक्ताओं के लिए खुशखबरी...। अगले साल तक 5 जी नेटवर्क पर कॉलिंग, डेटा ट्रांसफर और अन्य सुविधाएं मिलने की उम्मीदें बढ़ी हैैं। आइआइटी कानपुर, मद्रास (चेन्नई) और बांबे (मुंबई) मिलकर नेटवर्क पर काम कर रहे हैं।

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आइआइटी कानपुर और मद्रास ने नेटवर्क टेस्टिंग शुरू कर दी है, जिसके अंतर्गत मल्टी मोबाइल यूजर (कई मोबाइल उपभोक्ता) के लिए कॉलिंग और डेटा ट्रांसफर को परखने के साथ ही इंटरनेट की रफ्तार जांची जा रही है। प्रारंभिक चरण में स्पीड अपेक्षाकृत तेज नहीं है, जिसके लिए सॉफ्टवेयर उच्चीकृत किया जा रहा है। नए हार्डवेयर की डिजाइन पर काम जारी है। यह कार्य मेक इन इंडिया के अंतर्गत किए जा रहे हैं।

पिछली टेस्टिंग मई में हुई थी, जिसमें वायस कॉलिंग 4जी से बेहतर थी, जबकि 5जी को देखते हुए कुछ कमजोर रही। इसमें इंटरनेट की स्पीड 32 जीबीपीएस (गीगा बाइट पर सेकेंड) मिली, जबकि सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर को अपग्रेड करने के बाद 64 जीबीपीएस करने की तैयारी चल रही है। तीनों संस्थान मिलकर 5 जी नेटवर्क को अक्टूबर 2021 तक पूरी तरह चालू करने की उम्मीद जता रहे हैैं। उसके लिए बेस स्टेशन के उपकरण तीनों जगहों पर डिजाइन किए जा रहे हैं।

इस तरह से हो रहा काम

डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन के सहयोग से 5 जी तकनीक विकसित की जा रही है। इनकी ओर से शोध के लिए फंडिंग की जा रही है। आइआइटी कानपुर बेस स्टेशन के नीचे वाला हिस्सा, जिसे बेस बैंड कहते हैं उसकी डिजाइनिंग कर रहा है जबकि आइआइटी मद्रास टावर के सबसे ऊपर लगने वाली रेडियो फ्रीक्वेंसी यूनिट तैयार कर रहा है। यह यूनिट हवा में सिग्नल पकड़ती है। आइआइटी बांबे के सोसाइटी फॉर एप्लाइड माइक्रोवेव इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंजीनियरिंग रिसर्च (समीर) की ओर से एंटिना की डिजाइनिंग की जा रही है। आइआइटी बांबे कोर नेटवर्किंग पर भी काम कर रहा है।

वॉयस क्वालिटी बेहतर, इंटरनेट स्पीड बढ़ाने पर चल रहा काम

आइआइटी कानपुर में इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. रोहित बुद्धिराजा के मुताबिक आवाज की क्वालिटी बेहतर मिल रही है। असली काम इंटरनेट की स्पीड पर किया जा रहा है। बेस स्टेशन पर इंटरनेट की स्पीड तेज रहती है, लेकिन डेटा ट्रांसफर और उसकी प्रोसेसिंग के कारण इंटरनेट स्पीड प्रभावित हो जाती है। नए सॉफ्टवेयर काफी बेहतर हैं। इसकी स्पीड काफी अच्छी आ रही है। अब कई मोबाइल यूजर को लेकर लैब स्तर पर काम किया जा रहा है। इसे अगले साल अक्टूबर तक पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद ये पूरी तकनीक दूरसंचार मंत्रालय को दे दिया जाएगा।


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