दादानगर ओवरब्रिज पर 55 गड्ढे
जागरण संवाददाताकानपुर 2013 में दादानगर ओवरब्रिज बनाया गया था। नगर निगम को इस पुल की मरम्मत क
जागरण संवाददाता,कानपुर: 2013 में दादानगर ओवरब्रिज बनाया गया था। नगर निगम को इस पुल की मरम्मत का जिम्मा मिला है। नगर निगम के अफसर यह काम नहीं कर रहे हैं। स्थिति यह है कि ओवरब्रिज पर एक दो नहीं बल्कि 55 गड्ढे हैं जो हादसे का बड़ा सबब बन रहे हैं। आए दिन कोई न कोई इन गड्ढों में फंसता है और बाइक गिरने से जख्मी होता है पर किसी जिम्मेदार को फिक्र नहीं है। इस मामले पर नगर निगम के अफसर मौन हैं।
सीटीआइ से विजयनगर चौराहा को जोड़ने वाले दादानगर ओवरब्रिज दक्षिण क्षेत्र की दस लाख से अधिक आबादी को उत्तर इलाके से जोड़ता है। गड्ढों से वाहन सवारों को निकलने में बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है, क्योकि इन गड्ढो की वजह से जाम लगता है। वाहन चालक तेज रफ्तार से वाहन नहीं चला पाते। एक माह के अंदर ही दस वाहन सवार गिरकर जख्मी हो चुके हैं। जबकि एक साल में यह संख्या डेढ़ सौ से अधिक होगी। शुक्रवार को ही पनकी के रवींद्र अपनी बहन के साथ जा रहे थे और गड्ढे में पहिया आने से गिर गए। भाई और बहन जख्मी हुए। पीडब्ल्यूडी के सहायक अभियंता मिथलेश वर्मा ने बताया कि दादानगर से शास्त्री चौक तक की सड़क नगर निगम की है। इस वजह से पुल नगर निगम को ही हस्तांरित कर दिया गया था। इसकी मरम्मत का काम नगर निगम को ही करना है।
पुल पर रोज यातायात
वाहन गुजरते: दो लाख
भारी वाहन: 40 हजार
साइकिल व रिक्शे: 20 हजार
गुजरते लोग: तीन से चार लाख
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पुल के गड्ढे बहुत खतरनाक होते जा रहे हैं। कई बार फंसकर गिर चुका हूं। ध्यान देने वाला कोई नहीं।
-नरेंद्र रस्तोगी, कौशलपुरी अचानक गड्ढा पड़ने से साइकिल से गिर चुका हूं। इस वजह से अब पैदल ही पुल पार करता हूं।
अनिल कुमार, दादानगर पुल में आए दिन कोई न कोई गिरता है। गड्ढे लगातार बढ़ते चले जा रहे हैं। कोई भी ध्यान देना वाला नहीं।
एपी वर्मा, लेबर कालोनी पुल से रोज निकलते हैं। रात में लाइट न जलने से गड्ढे में फंसकर कई बार गिर चुका हूं।
मोहम्मद इजहार, दादानगर
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सर्विस लेन से नीचे गिरा युवक
कानपुर: दादानगर सर्विसलेन के बगल में बनाई जा रही रिटेनिंग वाल को देखने के लिए एक युवक साइकिल रोक कर खड़ा हो गया। गहराई ज्यादा होने की वजह से वह घबरा कर नीचे गिर गया।