सरकार के फैसले से सदमे में प्रिंटिंग उद्योग, 50 हजार कामगारों पर संकट के बादल
डिजिटलाइजेशन के निर्णय के बाद प्रिंटिंग उद्योग से जुड़े लोगों में मायूसी छा गई है अक्टूबर से दिसंबर माह तक आर्डर मिलने से स्वर्णिम काल रहता था।
कानपुर, जेएनएन। सरकारी विभागों में कैलेंडर, डायरी व प्रिंटिंग कार्ड छापने की बजाय उसे डिजिटल करने के निर्णय से प्रिंटिंग उद्योग को तगड़ा सदमा लगा है। कारोड़ों का कारोबार करने वाले उद्यमियों को चिंता सताने लगी है, वहीं अकेले कानपुर में इंडस्ट्री से जुड़े पचास हजार कामगारों के लिए भी रोजी का संकट बनने के आसार बन गए हैं। अक्टूबर से दिसंबर माह में इंउस्ट्रीय स्वर्णिम काल इस बार मायूसी में बीतने वाला है।
अक्टूबर से दिसंबर होता था स्वर्णिम काल
अक्टूबर, नवंबर व दिसंबर माह प्रिंटिंग उद्योग के लिए स्वर्णिम पीरियड कहा जाता है। अक्टूबर माह करीब आते ही प्रिंटिंग उद्यमी प्रकाशन के लिए सरकारी विभागों से आर्डर मिलने का इंतजार करने लगते हैैं, लेकिन केंद्र सरकार के निर्णय ने उन्हें मायूस कर दिया है। सरकार ने प्रिंटिंग की बजाय इनके आदान प्रदान के लिए अब डिजिटल माध्यमों को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है। इन तीन महीनों में एक प्रिंटिंग यूनिट कैलेंडर, डायरी व ग्रीटिंग कार्ड छापकर औसतन 25 से 30 लाख रूपये का कारोबार करती थी थी।
बड़े प्रकाशकों की आमदनी करोड़ों में
बैंक, सरकारी बीमा कंपनी व पब्लिक सेक्टर यूनिट समेत कई सरकारी विभागों के लिए डायरी व कैलेंडर प्रकाशित करने वाले उद्यमी अरुण गौतम ने बताया कि उन्होंने लंबे समय तक यह काम किया है। इस महीने से ऑर्डर मिलने शुरू हो जाते थे। उनके पास इन तीन महीनों में साल भर जितना आर्डर मिलता था। बड़े प्रकाशकों की आमदमी तो करोड़ों में है।
उद्यम से जुड़े आदित्य गुप्ता ने बताया कि साल का 25 फीसद से अधिक का बिजनेस सरकारी प्रिंटिंग के ऑर्डर से मिलता था। इस उद्योग से कैलेंडर के ऊपर लगने वाली लोहे की पत्ती बनाने, स्पाइरल तैयार करने व कागज सप्लायर समेत कई उद्यम जुड़े हैं। इसके अलावा 50 हजार से अधिक कामगार भी इस उद्योग से अपनी रोजी रोटी चला रहे हैं, जिनपर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
इन सेक्टरों में प्रिंटिंग बंद करने का आदेश : सरकार के मंत्रालय, उनसे जुड़े विभाग, पब्लिक सेक्टर यूनिट, बैंक, इंश्योरेंस कंपनी व अन्य सरकारी प्रतिष्ठान।
पूजन सामग्री के पैकेट की प्रिंटिंग का उद्योग भी डाउन
प्रिंटिंग उद्यमी स्पर्श मेहरोत्रा ने बताया कि सरकारी चीजों के प्रकाशन के साथ उत्पादों के पैकेट की प्रिंटिंग का काम भी धीमा हो गया है। लॉकडाउन के बाद से मंदिर बंद हैं जिसके कारण पूजन सामग्री, अगरबत्ती, धूपबत्ती समेत अन्य चीजों का उत्पादन कम हुआ है। इन उत्पादों के लिए पहले पैकेट व उस पर प्रिंटिंग कराने वालों की कतार लगी रहती थी जो अब नहीं है। प्रिंटिंग का बिजनेस 40 से 50 फीसद गिर गया है।