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आइआइटी से नौबस्ता तक दौड़ेंगी 29 मेट्रो ट्रेन, जानिए कितने यात्रियों के लिए होगी जगह Kanpur News

यूपीएमआरसी ने जारी किया रोलिंग स्टॉक के लिए टेंडर 80 की किमी की रफ्तार से दौड़ेगी मेट्रो।

By AbhishekEdited By: Published: Thu, 09 Jan 2020 11:13 PM (IST)Updated: Fri, 10 Jan 2020 05:25 PM (IST)
आइआइटी से नौबस्ता तक दौड़ेंगी 29 मेट्रो ट्रेन, जानिए कितने यात्रियों के लिए होगी जगह Kanpur News
आइआइटी से नौबस्ता तक दौड़ेंगी 29 मेट्रो ट्रेन, जानिए कितने यात्रियों के लिए होगी जगह Kanpur News

कानपुर, जेएनएन। कानपुर आइआइटी से नौबस्ता तक 29 मेट्रो रेल दौड़ेंगी। हर ट्रेन में तीन कोच और 970 यात्रियों के बैठने का इंतजाम होगा। मेट्रो 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेंगी। इस अनुरूप जरूरतें पूरी करने के लिए उप्र मेट्रो रेल कारपोरेशन (यूपीएमआरसी) ने रोलिंग स्टॉक के लिए टेंडर जारी किए हैं।

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ट्रेन का रुकना, दरवाजा खुलना व बंद होना सब कुछ होगा आटोमेटिक

यूपीएमआरसी कानपुर मेट्रो के पहले रूट पर काम शुरू कर चुका है। आइआइटी से नौबस्ता तक 26 किलोमीटर लंबे पहले कॉरीडोर में अभी प्राथमिक कॉरीडोर ही तैयार किया जा रहा है। यह आइआइटी से मोतीझील तक बनाया जा रहा है, लेकिन यूपीएमआरसी पूरे कॉरीडोर के लिए रोलिंग स्टॉक की खरीद कर रहा है। इसके लिए यूपीएमआरसी ने जो निविदाएं मांगी हैं, उनके अनुसार 29 ट्रेनों की खरीद की जा रही है। इसकी खूबियां कमोवेश लखनऊ जैसी ही हैं। इसका सिग्नलिंग सिस्टम कम्प्यूटर आधारित ट्रेन नियंत्रण प्रणाली से लैस होगा। ऑटोमेटिक ट्रेन ऑपरेशन मोड की सुविधा होगी। इससे ट्रेन का संचालन, गति निर्धारण, स्टेशन पर निर्धारित स्थान पर रुकना, दरवाजों का खुलना और बंद होना समेत सबकुछ आटोमेटिक होगा। सुरक्षा के नजरिए से ट्रेन के प्रत्येक हिस्से पर बड़े पैमाने पर क्लोज सर्किट कैमरे, फायर और स्मोक सेंसर भी मौजूद होंगे।

बीच वाले डिब्बे में सर्वाधिक यात्री

तीन कोच की मेट्रो में दो कोच में ड्राइवर केबिन होगा। इन दोनों कोचों की यात्री क्षमता 315-315 होगी। बीच के कोच की यात्री क्षमता 340 होगी।

एक ट्रेन में होंगी आठ मोटरें

तीन कोच की एक मेट्रो को चलाने के लिए कुल आठ मोटर लगाई जाएंगी। दो डिब्बे संचालन के लिए इस्तेमाल होंगे। ऐसे में दोनों डिब्बों पर ट्रैक्शन मौजूद होगा। यानि कुल 67 फीसद हिस्से में ट्रैक्शन होगा। इस वजह से यह ट्रेन अन्य मेट्रो के मुकाबले बहुत तेजी से गति पकड़ेगी।

ब्रेक लगने में लगी ऊर्जा का फिर होगा इस्तेमाल

बिजली की खपत कम से कम करने के लिए अत्याधुनिक डिजाइन वाली ट्रेन में बेहद हल्के वजन वाले स्टेनलेस स्टील के कोच होंगे। ब्रेक लगाने पर जो ऊर्जा पैदा होगी, उसे री-जेनरेटिव तकनीक से दोबारा इस्तेमाल में लिया जाएगा। 


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