काला नमक चावल प्रजाति को मिलेगी संजीवनी
जागरण संवाददाता, कानपुर : सिद्धार्थ नगर की पहचान से जुड़े काला नमक चावल को संजीवनी देने का बीड़ा केंद्
जागरण संवाददाता, कानपुर : सिद्धार्थ नगर की पहचान से जुड़े काला नमक चावल को संजीवनी देने का बीड़ा केंद्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के पूर्व निदेशक प्रो. बीएन सिंह ने उठाया है। चावल की विभिन्न प्रजातियों के अभिजनक व कई शोध कार्य करने वाले प्रो. सिंह के सामने इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। सेंटर फॉर रिसर्च एंड डेवलपमेंट के निदेशक के रूप में वह अपनी रिसर्च टीम के साथ इस पर काम कर रहे हैं। सीएसए में कार्यशाला के दौरान उन्होंने काला नमक चावल की लुप्त होती प्रजाति को फिर से विकसित करने के लिए जैविक खेती को सर्वाधिक महत्वपूर्ण बताया।
उन्होंने बताया कि अपनी मनमोहक खुशबू के कारण अंग्रेजों के जमाने में ही यह चावल पूरी दुनिया में मशहूर था। समय के साथ इसकी प्रसिद्धि बढ़ती गई। इस चावल की सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें अधिक तापमान झेलने की क्षमता है इसलिए जलवायु परिवर्तन के लिहाज से भी यह बेहतर है। रासायनिक खादों के प्रयोग और लापरवाही के कारण इस चावल की यह पहचान दम तोड़ रही है। लेकिन उनका शोध कहता है कि जैविक खेती के जरिए इस चावल की प्रजाति को बचाया जा सकता है। वहीं जम्मू कश्मीर से आए प्रो. एजाज मलिक ने जलवायु परिवर्तन में फसलों की अच्छी पैदावार के बारे में जानकारी दी। कुलपति प्रो. सुशील सोलोमन, कुलसचिव प्रो. राजेंद्र सिंह, डायरेक्टर एडमिनिस्ट्रेशन एंड मॉनीट¨रग प्रो. मुनीश कुमार गंगवार, प्रो. वेदरतन व संचालक डा. नौशाद खान मौजूद रहे।
नए शोध कार्यो को जाना
सिक्किम आई कृषि वैज्ञानिक डा. एलडी बुटिया (पशुपालन) व डा. एसपी बुटिया (उद्यान विभाग) ने बताया कि सीएसए के राष्ट्रीय सम्मेलन में उन्हें नए शोध कार्यो को जाना। यहां कई प्रयोगात्मक अध्ययन से जुड़े अनुभवों को जानने का मौका मिला।
रासायनिक व जैविक खेती पर कर रहीं अध्ययन
पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय से आई रिसर्च स्कॉलर (प्लांट फिजियोलॉजी) दीप्ति बिसारिया को इस राष्ट्रीय सम्मेलन में वरिष्ठ वैज्ञानिकों से मिलने व उनके शोध कार्य को जानने का मौका मिला। वह बासमती चावल की रासायनिक व जैविक खेती पर अध्ययन कर रही हैं। यहां से उन्होंने अपने शोध कार्य से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें सीखीं।