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मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना कर मांगीं मुरादें

जागरण संवाददाता कन्नौज नवरात्र में माता के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना कर भक्तों न

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Apr 2021 05:40 PM (IST)Updated: Thu, 15 Apr 2021 05:49 PM (IST)
मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना कर मांगीं मुरादें
मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना कर मांगीं मुरादें

जागरण संवाददाता, कन्नौज : नवरात्र में माता के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना कर भक्तों ने मनौतियां मांगीं। प्रतिदिन की तरह भक्तों ने मातारानी की पूजा की तथा मंदिर मे जाकर दर्शन किए। हालांकि कोरोना संक्रमण के चलते कम संख्या में ही भक्त मंदिर पहुंच रहे हैं। संकट की इस घड़ी में लोग घरों में ही पूजा-पाठ और जाप कर कोरोना से मुक्ति दिलाए जाने की प्रार्थना कर रहे हैं।

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गुरुवार को नवरात्र के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा की गई। घरों में स्थापित माता की चौकी के पास भक्तों ने धूमधाम से पूजा अर्चना की। आचार्य सुरेशचंद्र द्विवेदी ने बताया कि मां दुर्गाजी की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है। नवरात्रि उपासना में तीसरे दिन की पूजा का अत्यधिक महत्व है और इस दिन इन्हीं के विग्रह का पूजन-आराधन किया जाता है। इस दिन साधक का मन ''''मणिपूर'''' चक्र में प्रविष्ट होता है। माता चंद्रघंटा की कृपा से अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं, दिव्य सुगंधियों का अनुभव होता है तथा विविध प्रकार की दिव्य ध्वनियां सुनाई देती हैं, ये क्षण साधक के लिए अत्यंत सावधान रहने के होते हैं।मां का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। इनके मस्तक में घंटे का आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण से इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है। इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। इनके दस हाथ हैं। इनके दसों हाथों में खड्ग आदि शस्त्र तथा बाण आदि अस्त्र विभूषित हैं। इनका वाहन सिंह है। इनकी मुद्रा युद्ध के लिए उद्यत रहने की होती है। मातारानी की आराधना करने से निश्चित ही मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।

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मां फूलमती मंदिर में दिखाई दे रही कम भीड़

नवरात्र के दिनों में शहर के ऐतिहासिक सिद्धपीठ मां फूलमती देवी मंदिर में मेले जैसा नजारा दिखाई देता था, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के कारण मंदिर में सुनसान रहता है। पुजारी शिखर मिश्रा ने बताया कि मंदिर में शारीरिक दूरी का पालन करने के लिए भक्तों को दिशा-निर्देश दिए गए हैं। सुबह-शाम आरती में भी बिना मास्क किसी भी भक्त को प्रवेश की अनुमति नहीं है।


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