कुदरती इलाज इतना गाढ़ा कि जीवन रक्षक बन गया काढ़ा
संवाद सहयोगी तिर्वा कोरोना काल में पीड़ित लोगों के लिए प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति रामबाण
संवाद सहयोगी, तिर्वा : कोरोना काल में पीड़ित लोगों के लिए प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति रामबाण साबित हो रही है। यह कारगर इतनी कि कई कोरोना संक्रमित स्वस्थ हो अपने घर को गए। कई अभी भी कुदरती नुस्खे अपनाकर अपने को ठीक करने में लगे हैं। जानलेवा कोरोना ने पीड़ित व्यक्तियों के अलावा आमजन को भी भारी दबाव में ला दिया है। मानसिक तनाव के कारण कई लोगों ने आत्मघाती कदम भी उठाए थे। लेकिन, प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति ने ऐसे लोगों को काफी राहत दी है। खास तौर पर काढ़े ने तो कईयों का जीवन बचाने व स्वस्थ करने में बड़ी भूमिका निभाई है। कस्बे के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात कुष्ठ रोग प्रभारी (पैरामेडिकल वर्कर) प्रीति यादव ने कोरोना काल में ड्यूटी की थी। इस दौरान खुद भी कोरोना की चपेट में आ गई। होम आइसोलेशन के दौरान स्वजनों ने पूरी हिम्मत रखी। स्वास्थ्य केंद्र से एलोपैथिक दवाएं दी गई। इसके साथ में घरेलू नुक्सा व प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति का इस्तेमाल कर कोरोना से जंग जीत ली थी। उन्होंने बताया कि गर्म पानी पीकर गला व पेट साफ रहा। जुकाम, खरास, खांसी समेत अन्य दिक्कतें नहीं रहीं। लौंग, दाल-चीनी की लकड़ी का पाउडर, गिलोय की जड़ को पीस व अदरक का काढ़ा बनाकर इस्तेमाल किया। इससे शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ी। कोरोना को हराने के बाद फिर से ड्यूटी पर लौटकर काम किया था। चिकित्सा अधिकारी डॉ. अवधेश कुमार ने बताया कि प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति बहुत कारगर होती है, लेकिन इसकी बारे में पूर्णतया जानकारी न हो तो खतरनाक साबित होती है। इसलिए प्राकृतिक दवाओं का सेवन समझ-बूझ कर करना चाहिए। इससे बहुत फायदे भी होते हैं।