गोबर के दीपकों से निकला आत्मनिर्भरता का प्रकाश
जागरण संवाददाता कन्नौज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के
जागरण संवाददाता, कन्नौज: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'वोकल फार लोकल' के नारे से प्रभावित होकर इत्र नगरी की बेटी ने एक अभिनव प्रयोग किया है। दीपावली में लोग चाइनीज झालरों को उपयोग न करें, इसके लिए यह बेटी ने गाय के गोबर से दीप बना रही है। ऐसा कर वह खुद आत्मनिर्भर बनने के साथ ही गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें प्रशिक्षण दे रही हैं।
हसेरन ब्लाक के गांव खरगपुर निवासी काव्या सिंह ने बताया कि पहले उनके मन में गरीब परिवारों को दीपक देने का विचार आया था। इसी बीच उन्हें पता चला कि उनकी एक साथी जालौन में गाय के गोबर से दीपक बना रहे हैं। दीपक बनाने का प्रशिक्षण लेने के लिए वह जालौन गईं। करीब एक सप्ताह तक उन्होंने यहां प्रशिक्षण लिया। घर लौट कर उन्होंने गांव की महिलाओं को गाय के गोबर से दीपक बनाने के लिए प्रशिक्षित करना शुरू किया। सबसे पहले उन्होंने खुद दीपक बनाए और महिलाओं को दिखाए। बताया कि दीपावली में गाय के गोबर से बने दीपकों को वह गरीब परिवारों में निश्शुल्क वितरित करेंगी। इसके बाद उनका मकसद गाय के गोबर से मूर्ति बनाने का है। उनके साथ प्रीति सेंगर, सुधा देवी, मीरा देवी, ज्योति, सीमा, जमुना, मीरा, शिवरानी आदि महिलाओं ने प्रशिक्षण लेकर गाय के गोबर से दीपक बनाना शुरू किया है।
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ऐसे बनते हैं दीपक:
काव्या ने बताया कि गाय के गोबर को धूप में सुखाकर उसे पीस लिया जाता था। एक किलो गोबर में 200 ग्राम पीली मिट्टी मिलाते हैं। 100 ग्राम प्रीमिक्स पाउडर का अच्छी तरह से घोल बना कर सभी को गोबर के साथ मिक्स कर देते हैं। इसके बाद सांचे से दीपक विभिन्न आकृतियों के बना लेते हैं। दीपक को छाया या हवा में सुखाकर उसमें गोंद मिलाकर पीओपी या चूने के पेंट का कलर कर उन्हें आकर्षक रंग देते हैं।