आढ़तों पर सन्नाटा, केंद्रों पर धान खरीद धीमी
- आढ़तियों का धंधा चौपट मंडी शुल्क निकालना मुश्किल - बारिश के कारण इस बार धान की पै
- आढ़तियों का धंधा चौपट, मंडी शुल्क निकालना मुश्किल
- बारिश के कारण इस बार धान की पैदावार हुई कम
जागरण संवाददाता, कन्नौज : धान की इस बार कम पैदावार से सरकारी व निजी दोनों खरीद प्रभावित हैं। आवक कम होने से आढ़तियों का धंधा चौपट तो सरकारी केंद्रों पर लक्ष्य पूर्ति करना मुश्किल बना हुआ है। मंडियों में आढ़त पर सन्नाटा है, जबकि धान के समय किसानों की कतार लगी रहती थी। धान की पैदावार कम तो हुई है, लेकिन जो उपज हुई वह गुणवत्ता खराब होने के कारण खरीद भी नहीं जा रही है। वहीं, सरकारी खरीद केंद्र की बात करें तो यहां भी पैदावार कम होने के कारण आवक नहीं हो रही है। इस कारण खरीद की रफ्तार धीमी है, जबकि हर वर्ष खरीद के समय केंद्र से ज्यादा आढ़तों पर धान बेचने के लिए किसानों की कतार लगी रहती थी। इस बार आढ़तों पर सन्नाटा है। इससे मंडी समिति को भी झटका लगा है क्योंकि कारोबार न होने से मंडी शुल्क की भरपाई करना मुश्किल होगा। नवीन मंडी के सहायक विकास कुमार ने बताया कि धान की पैदावार कम होने से कारोबार पर असर पड़ा है।
करीब 50 प्रतिशत पैदावार कम
जिले में इस बार धान की 21,189 हेक्टेयर में बोआई की गई थी, जिसमें 70 फीसद धान कट चुका है। प्रति हेक्टेयर 36 क्विंटल पैदावार का लक्ष्य था। कृषि विभाग की माने तो पैदावार कम नहीं हुई है। प्रति हेक्टेयर 35.45 क्विटल पैदावार हुई है, जबकि किसानों के मुताबिक 15 से 20 क्विटल तक पैदावार हुई है। तिर्वा क्षेत्र में बारिश व खेतों में जलभराव के कारण सबसे ज्यादा धान बर्बाद हुआ है। यहां के औसेर व उमर्दा सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। अभी 30 प्रतिशत तक कटाई बाकी है। जिला कृषि अधिकारी आवेश सिंह ने बताया कि तिर्वा क्षेत्र में बारिश के कारण धान की पैदावार कम हुई है।
30 केंद्रों पर पांच प्रतिशत खरीद
जिले में 37,700 मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य मिला है। इसके लिए 30 केंद्र खोले गए हैं। एक नवंबर से अब तक 17 हजार यानी पांच फीसद खरीद हुई है। 300 किसानों ने ही धान बेचा है, जो पिछले वर्षो की तुलना का काफी कम प्रगति है।
इस तरह हुई बोआई व पैदावार
वर्ष बोआई हेक्टेयर पैदावार मीट्रिक टन
2017-18 20,360 65,009
2018-19 20,256 54,063
2019-20 20,295 81,119
2020-21 20,982 72,472