सरकारी अस्पतालों की ओपीडी बंद, अब झोलाछापों का सहारा
संवाद सहयोगी तिर्वा कोरोना संक्रमण के बढ़ते मरीजों को लेकर राजकीय मेडिकल कॉलेज से ल
संवाद सहयोगी, तिर्वा: कोरोना संक्रमण के बढ़ते मरीजों को लेकर राजकीय मेडिकल कॉलेज से लेकर प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर ओपीडी बंद की जा चुकी। इससे अब झोलाछाप दुकानदार डॉक्टर के रूप में काम करने लगे। इनकी दुकानों पर इलाज भी सस्ता है।
राजकीय मेडिकल कॉलेज के अलावा उमर्दा ब्लाक क्षेत्र के दो सामुदायिक व नौ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर ओपीडी बंद की जा चुकी। साथ ही इमरजेंसी में मरीजों को नहीं देखा जा रहा। गंभीर चोटें होने पर सिर्फ जिला अस्पताल में इलाज हो रहा। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर मारपीट में घायल और मेडिकल रिपोर्ट बनाने का काम किया जा रहा है। जनरल मरीजों को दवा नहीं मिल रही। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कोरोना संक्रमण की जांच व कोविड-19 की वैक्सीन लगाने का काम चल रहा है। मेडिकल कॉलेज में कोरोना के पॉजिटिव केस आइसोलेशन में व सांस में तकलीफ वाले मरीज इमरजेंसी में भर्ती हैं। इन हालातों में अब सामान्य मरीजों को दिक्कतें हो रही हैं। सर्दी, खांसी जुकाम, बुखार, हड्डी, पेट, सिर, बदन दर्द, डायरिया समेत अन्य बीमारियों का इलाज कराने के लिए मरीजों को झोलाछाप की दुकानों पर जाना पड़ रहा है। वहां पर इनको दवाएं मिल रही हैं। यहां पर मरीजों को सस्ता इलाज मिल जाता है। सड़क हादसे में मामूली घायल होने पर मरहम व पट्टी कराने का इंतजाम हो जाता है।
पेड़ व छप्पर की छांव में इलाज
ग्रामीण क्षेत्रों में झोलाछाप दुकानदार इलाज करने के लिए पेड़, दीवार व बल्लियों में ग्लूकोज की बोतल लटका कर मरीजों को चढ़ा देते हैं। मरीज के लिए बेड का इंतजाम नहीं है। इससे बेंच, फर्श व चारपाई पर लेटा कर मरीजों को राहत दे रहे हैं।
यहां भी लग रही मरीजों की लाइन
झोलाछापों की दुकानों पर अब मरीजों की लंबी लाइनें लग रही हैं। इनके पास भी मरीजों की वेटिग है। अभी तक दुकानों में दो-चार मरीज आते थे, लेकिन इस दौर में रोजाना 70 से 80 मरीज दवा लेने पहुंच रहे हैं।
घरों पर जाकर चढ़ा देते हैं ग्लूकोज
मरीज अगर चलने में सक्षम न हो तो स्वजन मोबाइल फोन पर कॉल कर झोलाछापों को अपने घर बुला लेते हैं और वहीं पर मरीज का इलाज शुरू कर देते हैं।
-------
बिना डिग्री व पंजीकरण क्लीनिक के मरीजों का इलाज करना एक अपराध है, लेकिन इस दौर में दुकानों पर छापेमारी बंद है। अभी तक किसी झोलाछाप की दुकान पर मौत होने की शिकायत नहीं मिली। अगर हादसा हुआ तो कार्रवाई तय है।
डॉ. अवधेश कुमार, चिकित्साधिकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तिर्वा