70 परिवारों में महज आठ को इज्जतघर
5 हजार से ऊपर है। सबसे बुरी स्थिति मजरा वीरहार की है। यहां 70 परिवार हैं। इनमें से महज आठ परिवारों को ही इज्जतघर की पहली किस्त नसीब हुई है। दूसरी किस्त न मिलने के कारण कुछ इज्जतघर अभी भी अधूरे हैं। ग्रामीणों की माने तो ग्राम प्रधान रीना देवी ने पहली किस्त के पैसे लेकर घटिया सामग्री से निर्माण कराया है। इस कारण इज्ज्तघर की सीट दरवाजे आदि सब उखड़ गए। दूसरी किस्त न मिलने के कारण कुछ लोगों ने खुद के पैसे से इज्ज्तघर का निर्माण कराया है। ग्रामी
संवाद सूत्र, ठठिया (कन्नौज) : जनपद ओडीएफ भले ही हो गया है लेकिन लोग अब भी खुले में जाने को मजबूर हैं। दरअसल इज्जतघरों के निर्माण में जमकर धांधली हुई है। कहीं इज्जतघर अधूरे हैं तो कहीं निर्माण ही नहीं हुआ। ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि आखिर किस आधार पर जनपद ओडीएफ घोषित कर दिया गया।
उमर्दा ब्लाक की ग्रामसभा खैरनगर में 13 मजरे खैरनगर, गोरनपुरवा, अड्डापुरवा, वीरहार, थरिहार, तुर्कनपुरवा,देवीपुर, सुमेरपुर, माधवपुर, मटकेपुरवा, बरियारपुरवा और नरिहा हैं। ग्राम सभा की आबादी करीब 25 हजार से ऊपर है। सबसे बुरी स्थिति मजरा वीरहार की है। यहां 70 परिवार हैं। इनमें से महज आठ परिवारों को ही इज्जतघर की पहली किस्त मिली है। दूसरी किस्त न मिलने से ज्यादातर इज्जतघर अब भी अधूरे हैं। ग्रामीणों के मुताबिक ग्राम प्रधान रीना देवी ने पहली किस्त के पैसे लेकर घटिया सामग्री से निर्माण कराया है। इस कारण इज्जतघर की सीट, दरवाजे आदि सब उखड़ गए। दूसरी किस्त न मिलने से कुछ लोगों ने खुद के पैसे से इज्जतघर बनवाए। ग्रामीणों ने ग्राम प्रधान पर पक्षपात का भी आरोप लगाया है। ग्राम प्रधान के पति दीपू से बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फोन काट दिया वहीं सचिव अजय पाल का फोन नहीं उठा।
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इज्जतघरों के गड्ढे में चारा खा रहे पशु
ग्रामसभा के अन्य मजरों में भी इज्जतघरों का हाल बुरा है। वहां भी आधे लोगों को इज्जतघर नसीब नहीं हैं, जिन्हें मिले भी हैं तो घटिया निर्माण के चलते उनके इज्जतघर एक साल का समय भी पूरा नहीं कर सके और जर्जर हो गए। लिहाजा पूरी ग्रामसभा की आधी आबादी भी इज्जतघरों का प्रयोग नहीं कर पा रही है। गड्ढे भी मानक के अनुसर नहीं खोदे गए हैं। मजरा अड्डापुरवा में ग्रामीणों ने इज्जतघरों के गड्ढों पर पशुओं के चारा खाने के लिए चरनी बना दी है।
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ग्रामीणों का दर्द
पात्र होने के बाद भी उन्हें इज्जतघर नहीं मिला। वह खुले में शौच जाने को मजबूर हैं। ग्राम प्रधान ने पक्षपात किया।
मुन्नी देवी, वीरहार
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मेरी मां के नाम से प्रधान ने इज्जतघर दिया है। निर्माण के नाम पर किस्त लेकर केवल एक बोरी सीमेंट और 500 ईंट दी थीं। इज्जतघर में बिना पायदान की सीट लगवा दी। घटिया निर्माण के कारण इज्जतघर जर्जर है और अब प्रयोग नहीं हो रहा है।
दिव्यांग रोहित सिंह, वीरहार
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खाते में पहली किस्त के मात्र छह हजार रुपये ही आए हैं जिसे ग्राम प्रधान ने खाते से निकलवा कर ले लिया। उन्होंने घटिया सामग्री से इज्जतघर बनवाया। दरवाजे और सीट टूट चुकी है। मजबूरन खुले में शौच जाना पड़ रहा है।
रीना देवी, वीरहार
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ग्राम प्रधान ने निर्माण के लिए जो सामग्री भेजी थी। उससे तो इज्जतघर के गड्ढे ही बन सकते थे। ऐसे में उन्होंने स्वयं के पैसे से इज्जतघर बनवाया है।
गिरिजा देवी, वीरहार।