नियो नेटल वेंटिलेटर के बिना मुश्किल होगा नवजात का इलाज
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संवाद सहयोगी, तिर्वा: राजकीय मेडिकल कालेज में 100 बेड का पीआइसीयू बनाया गया, लेकिन उसमें अभी तक नियो नेटल वेंटिलेटर नहीं लग सके। इससे पीआइसीयू की तैयारियां अधूरी हैं। इसके बिना नवजात का इलाज मुश्किल होगा। इससे पल्स, आक्सीजन लेवल, धड़कन समेत कई दिक्कतें में नियो नेटल कारगर होता है।
राजकीय मेडिकल कालेज की इमरजेंसी में हर दूसरे दिन एक बच्चा इलाज के लिए आता है, जिसको नियो नेटल वेंटिलेटर की जरूरत होती है। सबसे ज्यादा दिक्कत प्रसव के बाद नवजात के इलाज में होती है। इससे मेडिकल कालेज में थोड़ी सी बच्चे को दिक्कत होने पर कानपुर, लखनऊ व सैफई रेफर कर दिया जाता है। मेडिकल कालेज में कोरोना संक्रमित बच्चों का इलाज कराने के लिए लेबल-टू का 100 बेड का पीआइसीयू बनाया गया है। इसमें 30 जनरल वेंटिलेटर लगे हैं, जिन पर बड़े बच्चों का इलाज हो सकता है। नवजात के लिए नियो नेटल वेंटिलेटर के बिना इलाज संभव नहीं है। इसके लिए मेडिकल कालेज प्रशासन ने शासन स्तर पर छह नियो नेटल खरीदने के लिए प्रस्ताव भेजा था। उसको अभी तक मंजूरी नहीं मिली है। इससे पीआइसीयू की तैयारियां अधूरी है। इमरजेंसी में नहीं है मल्टीपैरा मल्टीपैरा की मशीन इमरजेंसी में न होने से बच्चों के आक्सीजन लेवल को कंट्रोल व चेक करने में काफी दिक्कतें होती हैं। डाक्टर अपने अनुभव पर काम कर रहे, लेकिन बिना मशीन के समस्या बढ़ी है। --------------------------
नियो नेटल वेंटिलेटर के बिना नवजात के इलाज में समस्या रहेगी। इसके लिए प्रस्ताव भेजा जा चुका। छह करोड़ का बजट भी मांगा गया था, लेकिन अभी तक मंजूरी नहीं मिली है। मंजूरी मिलने पर समस्या को दूर कर दिया जाएगा। डा. नवनीत कुमार, प्राचार्य, राजकीय मेडिकल कालेज