मेडिकल कॉलेज की सड़कें मरीजों को दे रहीं दर्द
संवाद सहयोगी तिर्वा राजकीय मेडिकल की सड़कें मरीजों से लेकर स्वास्थ्य कर्मियों को दर्द दे
संवाद सहयोगी, तिर्वा : राजकीय मेडिकल की सड़कें मरीजों से लेकर स्वास्थ्य कर्मियों को दर्द दे रही। सबसे ज्यादा दिक्कतें तो एक्सीडेंट में घायल को इमरजेंसी व गर्भवती को प्रसूति विभाग में ले जाने पर तकलीफें होती है। सड़कों के गड्ढे लाइलाज हो गए और नई सड़क तो दूर पैचवर्क भी नहीं कराया जा रहा।
राजकीय मेडिकल कॉलेज में करीब 10 किलोमीटर की रेंज में सड़कें बनी है। इनका निर्माण वर्ष 2007 में कराया गया था। 15 वर्ष में सड़कें जवाब दे गई और दम निकल गया। इन सड़कों पर आए दिन बाइक सवार डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टॉफ समेत अन्य स्वास्थ्य कर्मी गिरकर घायल हो जाते हैं। सबसे ज्यादा दिक्कतें तो हादसों में घायल मरीजों को इमरजेंसी व गर्भावस्था में एंबुलेंस से प्रसूति विभाग तक पहुंचने में होती है। सड़क के गड्ढों की चपेट में आकर मरीजों का दर्द दोगुना हो जाता है। इन जगहों पर दिक्कतें ज्यादा
इमजरेंसी के सामने रैंप के पास, मोर्चरी के सामने, ओपीडी गेट के आसपास, जनरल वार्ड, मेजर आपरेशन थिएटर, निश्चेतना विभाग के सामने, गर्ल्स, ब्वाय हॉस्टल, आडिटोरियम, प्राचार्य कार्यालय, आवासीय कॉलोनी, गेस्ट हाउस व नर्सेज हॉस्टल के पास सड़कों की हालत बहुत ज्यादा खराब है। प्रस्ताव को नहीं मिली अहमियत
सड़कों की हालत खराब होने पर मेडिकल कॉलेज प्रशासन व निर्माण की कार्यदायी संस्था ने संयुक्त रुप से प्रस्ताव बनाकर भेजे। लेकिन उनको चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य महानिदेशक कार्यालय से लेकर शासन स्तर पर नजरअंदाज कर दिया गया। प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी गई। सड़कों का निर्माण तो दूर पैचवर्क काम को भी बजट नहीं दिया गया। क्या कहते जिम्मेदार
सड़क की मियाद बमुश्किल सात से आठ वर्ष होती है, लेकिन कैंपस की सड़कें 15 वर्ष पुरानी हो गई। बारिश में सड़कों की हालत सबसे ज्यादा खराब होती है। बजट मिलने पर काम कराया जाएगा।
बीआर सिंह, प्रोजेक्ट मैनेजर, राजकीय निर्माण निगम मेंटीनेंस बजट के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजे गए। सड़क से लेकर कई जगहों पर बिल्डिंग खराब होने की दिक्कतें हो गई है। एक बार फिर से रिमाइंडर पत्र भेजा जाएगा।
डॉ. नवनीत कुमार, प्राचार्य, राजकीय मेडिकल कॉलेज