मैला ढोने की प्रथा खत्म होने का मांगा गया प्रमाण
जागरण संवाददाता कन्नौज हाथ से मैला उठाने की प्रथा वर्ष 2019 में जिले में खत्म हो चुकी है। ि
जागरण संवाददाता, कन्नौज : हाथ से मैला उठाने की प्रथा वर्ष 2019 में जिले में खत्म हो चुकी है। फिर भी कुछ जगह इस तरह की शिकायतें हैं, जिसका सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने संज्ञान लिया है। अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम (समाज कल्याण) से रिपोर्ट मांगी है। इस कार्य में कोई शामिल नहीं है तो इसका प्रमाण पत्र नगर पालिका व पंचायत के अधिशासी अधिकारी व ग्रामीण का जिला पंचायत राज अधिकारी देंगे। यह अधिकारी खुद जांच कर जिला मैला ढोने की प्रथा से मुक्त होने का प्रमाण देंगे, जो राज्य सरकार के माध्यम से सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय भेजा जाएगा। सभी अधिशासी अधिकारी व जिला पंचायत राज अधिकारी को समाज कल्याण अधिकारी (विकास) अंजनी कुमार ने पत्र भेजकर प्रमाण पत्र मांगा है। 41 लोगों को पुनर्वास के लिए मिली थी मदद हाथ से मैला ढोना प्रतिबंधित है। वर्ष 2013 में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय में एक्ट लागू कर सख्ती से इस पर प्रतिबंध लगाया था। विभाग के मुताबिक इसी क्रम में जिला वर्ष 2019 में इस प्रथा से मुक्त हुआ था। उस दौरान 41 महिला व पुरुष यह कार्य करते थे, जिन्हें पुनर्वास के लिए 40-40 हजार रुपये देकर इस कार्य से मुक्ति दिलाकर रोजगार से जोड़ा गया था। रोजगार के लिए मिलेगा ऋण
समाज कल्याण अधिकारी (विकास) अंजनी कुमार ने बताया कि जिले में इस तरह का कार्य नहीं होता है। ऐसे लोगों को पुनर्वास के लिए आर्थिक सहायता देकर अन्य काम कराए गए थे। ऐसे व्यक्ति स्वच्छकार मुक्ति ऋण योजना का लाभ लेकर किसी भी तरह का कार्य कर सकते हैं। प्रमाण पत्र लेकर शासन को भेजेंगे। वहां से केंद्र को जाएगा।