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गोली लगने के बाद भी चटाई थी दुश्मनों को धूल

जागरण संवाददाता कन्नौज मां.मै सीने पर गोली खाऊंगा पर पीठ नहीं दिखाऊंगा। यदि तिरंगे में

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Jul 2021 11:25 PM (IST)Updated: Sun, 25 Jul 2021 11:25 PM (IST)
गोली लगने के बाद भी चटाई थी दुश्मनों को धूल
गोली लगने के बाद भी चटाई थी दुश्मनों को धूल

जागरण संवाददाता, कन्नौज : मां.मै सीने पर गोली खाऊंगा, पर पीठ नहीं दिखाऊंगा। यदि तिरंगे में लिपट कर आया तो शोक मत करना। आपको गर्व होना चाहिए कि आपका बेटा मातृभूमि की रक्षा के लिए शहीद हो गया। ये शब्द थे कैप्टन रवींद्र सिंह यादव के, जब वह 1999 के कारगिल युद्ध के लिए घर से विदा होकर रणभूमि के लिए जा रहे थे। गोली खाने के बाद भी तीन दिन तक दुर्गम पहाड़ों पर लड़ते हुए दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए। आखिरकार 26 जुलाई 99 को कारगिल में तिरंगा लहरा ही दिया।

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तालग्राम ब्लाक के ब्राहिमपुर गांव के कैप्टन रवींद्र सिंह यादव के जेहन में कारगिल युद्ध की तस्वीरें आज भी ताजा हैं। वह पाकिस्तान की ओछी हरकतों से बखूबी वाकिफ हैं। पुलवामा हमले के बाद उन्होंने इच्छा जाहिर की थी कि वह 60 की उम्र में भी दुश्मनों से लड़ने का माद्दा रखते हैं। कैप्टन बताते हैं कि 23 जुलाई को कारगिल के बटालिक सेक्टर में फौज के साथ पहुंच गए थे। अचानक गोली उनकी जांघ पर लगी। बाएं पैर का पंजा भी चुटहिल हो गया। ऊंचाई अधिक होने से कोई मदद नहीं मिल पाई। सामने दुश्मन की गोलियां चल रही थीं, इसलिए सिर पर कफन बांधकर दुश्मनों से तीन दिन तक लड़ते रहे। मां से किया वादा भी पूरा किया। 30 साल देश की रक्षा की

कैप्टन रवीन्द्र ने 30 साल तक सेना में देश सेवा की। वह श्रीलंका में दो साल तक विशेष अभियान के तहत तैनात रहे। एक साल तक डेमोक्रेटिक रिपब्लिक कांगों में सेवाएं दी। इसके साथ सियाचिन ग्लेशियर, जम्मू कश्मीर समेत सरहदों पर देश की रक्षा में तैनात रहे। उन्हें बहादुरी के लिए सेना मेडल से नवाजा गया। उनका कहना है कि युवा पीढ़ी को देश की रक्षा के लिए आगे आना चाहिए। सेना की कार्रवाई को लेकर राजनीतिक दलों को राजनीति से बचना चाहिए।


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