चालक व टेक्नीशियन के इंतजार में क्रिटिकल केयर एंबुलेंस 'बीमार'
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संवाद सहयोगी, तिर्वा : राजकीय मेडिकल कॉलेज में मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद हायर हास्पिटल रेफर कर दिया जाता है। कानपुर, लखनऊ व सैफई जाते समय रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। इसके बावजूद भी लाखों रुपये की कीमत से खरीदी गई एंबुलेंस को रफ्तार नहीं मिल पा रही।
राजकीय मेडिकल कॉलेज में वर्ष 2014-15 में चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशक के निर्देश से एलएलआर (हैलट) कानपुर से क्रिटिकल केयर एंबुलेंस को भेजा गया था। कारण, इमरजेंसी से रेफर होने वाले मरीजों को आसानी से हायर हास्पिटल तक सुरक्षित पहुंचाया जा सके। पांच वर्ष से एंबुलेंस सीएमएस कार्यालय के सामने ब्वाय हॉस्टल में खड़ी है। धूल फांक रही। एंबुलेंस के अंदर कबाड़ा भर कर दिया। एंबुलेंस अभी तक एक भी बार मरीज के इस्तेमाल में नहीं आई। इससे एंबुलेंस में सुविधाएं बेकार और मेडिकल उपकरण खराब हो रहे हैं। एंबुलेंस को चलाने के लिए ट्रेंड चालक व मेडिकल उपकरण को जिम्मेदारी के साथ चलाने के लिए टेक्नीशियन का इंतजार है। पूर्व में मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने प्रस्ताव डीजी हेल्थ को भेजे, लेकिन मंजूरी नहीं मिल सकी। एंबुलेंस में ये सुविधाएं हैं मौजूद:
क्रिटिकल केयर एंबुलेंस में वेंटीलेटर की सुविधा है। मरीज को ऑक्सीजन के साथ सुरक्षित ग्लूकोज चढ़ाने की व्यवस्था। ब्रेकर पर मरीज को धक्का नहीं लगेगा। कोई भी मेडिकल उपकरण गाड़ी की स्पीड में गिरेगा नहीं। चार कर्मचारी के खड़े होकर इलाज करने की व्यवस्था। जिनको बेल्ट से सुरक्षित खड़ा किया जाएगा।
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क्रिटिकल केयर एंबुलेंस को स्थायी कर्मचारी के हाथ में सौंपा जा सकता है। आउटसोर्सिंग कर्मी अपनी जिम्मेदारी को नहीं समझते और नुकसान होने पर उनसे भरपाई करना भी मुश्किल है।
डॉ. दिलीप सिंह, सीएमएस, राजकीय मेडिकल कॉलेज