नहीं निकल रही फसलों की लागत, दाम कम
हॉटस्पॉट गांव के बाहर लगे बैरियर को अराजक तत्वों ने तोड़ाहॉटस्पॉट गांव के बाहर लगे बैरियर को अराजक तत्वों ने तोड़ा
फोटो संख्या : 22 केएनजे 54
- पिछले वर्ष की अपेक्षा आधे दामों में बिक रहीं फसलें
- घाटे में किसान, लॉकडाउन की वजह से नुकसान
संवाद सहयोगी, छिबरामऊ : गर्मी के मौसम में होने वाली मक्का व मूंगफली समेत अन्य फसलों से मुनाफा की बजाय किसानों को घाटा हुआ है। लॉकडाउन की वजह से दाम कम होने के कारण लागत तक नहीं निकल रही है। इससे किसान मायूस हैं।
कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के कारण किसान परेशान रहे। सिचाई व फसलों की देखरेख नहीं कर सके। इससे फसलें सूख भी गई, जो तैयार भी हुई उनकी बिक्री बेहद कम हो रही है और दाम भी काफी कम मिल रहे हैं। लॉकडाउन की वजह से समय से खाद बीज भी उपलब्ध नहीं हो सकी थी। जैसे तैसे फसल तैयार की तो भाव गिर गए हैं। पिछले वर्ष मक्का 2200 रुपये क्विंटल बिकी थी जो इस बार 1150 रुपये क्विटल बिक रही है। मूंगफली का उत्पादन पिछले वर्ष से काफी कम है। पिछले वर्ष मूंगफली 5000 प्रति क्विटल थी लेकिन बार 4500 रुपये हैं।
पिछली बार सरकार ने मक्का की खरीद करते हुए मूल्य 2200 रुपये निर्धारित किया था। इस बार इसे घटाकर 1150 रुपये कर दिया गया है। ऐसे में किसानों का खासा नुकसान हुई है। निर्यात रुकने की वजह से कीमत गिरी है।
-जितेंद्र सिंह, ग्राम रौरी
मूंगफली में लागत अधिक लगती है। इस बार कोरोना महामारी की वजह से खाद पानी के साथ देखरेख भी समस्या रही है। इस वजह से उत्पादन केवल आधा रह गया। ऊपर से भाव गिर गए। इससे किसान बेहद परेशान है।
-मोहित दुबे, ग्राम निगोह मक्का का निर्यात किया जाता था। इसके साथ ही फूड प्रोडक्ट में भी मक्का की मांग होती थी। इस पर उद्योग धंधे बंद होने की वजह से इसकी मांग घट गई। इसके साथ ही इसका निर्यात भी नहीं हो पाया। इस वजह से सरकार को मक्का का समर्थन मूल्य घटाना पड़ गया।
-धर्मेंद्र कुमार, आढ़ती