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पर्यावरण बचाने को धरा पर रोप रहे 'प्राणवायु'

जागरण संवाददाता कन्नौज कोरोना वायरस की दूसरी लहर में तमाम लोगों की आक्सीजन की कमी से ज

By JagranEdited By: Published: Fri, 04 Jun 2021 05:23 PM (IST)Updated: Fri, 04 Jun 2021 05:23 PM (IST)
पर्यावरण बचाने को धरा पर रोप रहे 'प्राणवायु'
पर्यावरण बचाने को धरा पर रोप रहे 'प्राणवायु'

जागरण संवाददाता, कन्नौज: कोरोना वायरस की दूसरी लहर में तमाम लोगों की आक्सीजन की कमी से जान चली गई। बड़े शहरों में प्रदूषित हवा के कारण सांस लेना मुश्किल हो रहा है। ग्लोबल वार्मिग जैसी समस्या और अधिक विकराल होती जा रही है। ये समस्या और प्रदूषित हवा हमें मौत के मुंह में ढकेल रही है। हमें आक्सीजन मिलती रहे, पर्यावरण प्रदूषित न हो, इसके लिए कन्नौज निवासी युवा समाजसेवी सौमित्र मिश्र ने पीपल और बरगद के पौधे लगाने का अभियान चला दिया है।

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यूं तो सौमित्र ने पिछले साल ही कोरोना काल में पीपल के पौधे लगाने का अभियान शुरू कर दिया था, जो इस साल भी जारी है। अंतर सिर्फ इतना है कि पिछले साल उन्होंने सिर्फ पीपल के पौधे लगाए थे। मगर इस बार वह बरगद और पीपल दोनों के पौधे लगा रहे हैं। सौमित्र बताते हैं कि इस साल उन्होंने इस अभियान की शुरुआत जिला अस्पताल से की। बताया कि अभी वह सरकारी भवनों, प्राइवेट स्कूलों, मंदिरों में पीपल और बदगद के पौधे लगा रहे हैं। जल्द ही यह गांव-गांव भी अभियान पहुंचेगा। अब तक वह करीब 100 से अधिक पीपल-बरगद के पौधे लगा चुके हैं। वो कहते हैं कि पर्यावरण को बचाने की जिम्मेदारी हर इंसान को निभानी चाहिए। ग्लोबल वार्मिग और प्रदूषण से बचाने के लिए पेड़ लगाने का अभियान हम जारी रखेंगे। सौमित्र ने पिछले साल 500 से अधिक घरों में गिलोय की पौध पहुंचाई थी। अब उनके घर में पीपल और बरगद के 50 से अधिक पौधे तैयार हैं। ---------------- क्या है पीपल

पीपल भगवान विष्णु का जीवंत और पूर्णत: मूर्तिमान स्वरूप है। भगवान कृष्ण कहते हैं, समस्त वृक्षों में मैं पीपल का वृक्ष हूं। शास्त्रों में वर्णित है कि पीपल की सविधि पूजा-अर्चना करने से सभी देवता स्वयं ही पूजित हो जाते हैं। पीपल का वृक्ष लगाने वाले की वंश परंपरा कभी विनष्ट नहीं होती। अथर्ववेद के उपवेद आयुर्वेद में पीपल के औषधीय गुणों का अनेक असाध्य रोगों में उपयोग वर्णित है। पीपल के वृक्ष के नीचे मंत्र, जप और ध्यान तथा सभी प्रकार के संस्कारों को शुभ माना गया है। पीपल कार्बन डाइआक्साइड को सोखता है और आक्सीजन छोड़ता है। यह कई वर्षो तक जीवित रहता है। -------- ये हैं पीपल के गुण आयुर्वेदिक ग्रंथ में पीपल के गुणों के बारे में बताया गया है। इसके प्रयोग से रंग में निखार आता है। घाव, सूजन, दर्द से आराम मिलता है। पीपल खून को साफ करता है। पीपल की छाल मूत्र-योनि विकार में लाभदायक होती है। पीपल की छाल के उपयोग से पेट साफ होता है। सुजाक, कफ दोष, डायबिटीज, ल्यूकोरिया, सांसों के रोग में भी पीपल का इस्तेमाल लाभदायक है।


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