इमरजेंसी में बच्चों को नहीं मिलते आक्सीजन मास्क
संवाद सहयोगी तिर्वा राजकीय मेडिकल कालेज प्रशासन की अनदेखी से इमरजेंसी में मरीजों को परे
संवाद सहयोगी, तिर्वा : राजकीय मेडिकल कालेज प्रशासन की अनदेखी से इमरजेंसी में मरीजों को परेशान किया जा रहा। इमरजेंसी में बच्चों को आक्सीजन मास्क नहीं मिल पाते। रात में तो इंजेक्शन, बीगो व ग्लब्स तक बाहर से खरीदने पड़ते हैं। इमरजेंसी में पैथोलाजी होने के बावजूद भी बाहर से ब्लड जांच कराई जाती है।
राजकीय मेडिकल कालेज की इमरजेंसी में मरीजों की समस्या खत्म नहीं हो रही। यहां पर मरीजों को गंभीर मर्ज का इलाज तो मिल नहीं पाता और प्राथमिक उपचार में भी इलाज में इस्तेमाल होने वाला सामान मेडिकल स्टोरों से खरीदना पड़ता है। फर्रुखाबाद के फतेहगढ़ थाना क्षेत्र के चंदौआ गांव निवासी रावेंद्र सिंह अपने एक वर्षीय के बेटे रिशूराज को भर्ती कराया था। बच्चे को सांस लेने में तकलीफ हुई तो डाक्टर ने बाहर से बच्चे का आक्सीजन मास्क खरीद कर लाने के लिए रावेंद्र को दौड़ा दिया। इसके अलावा कई मरीजों को मेडिकल स्टोर से ग्लब्स, बीगो, इंजेक्शन समेत कई सामान मंगवाया जाता है। यह समस्या सबसे ज्यादा मरीजों के लिए रात में होती है। इमरजेंसी में पैथोलाजी बनी है, लेकिन इसके बावजूद भी मरीज की जांचें बाहर से कराने के लिए पचर लिखा जाता है। प्राइवेट पैथोलाजी वाले 20 रुपये वाली जांच को 700 रुपये तक वसूल करते हैं।
नोटिस चस्पा का कोई असर नहीं
इमरजेंसी में मुख्य गेट से लेकर वार्ड तक प्राचार्य व सीएमएस के आदेशानुसार नोटिस चस्पा है, कि कोई जांच बाहर से नहीं कराई जाएगी। उपलब्धता होने पर इंजेक्शन व कोई दूसरा सामान मरीजों से बाहर से नहीं मंगवाया जाएगा। लेकिन इसका असर इमरजेंसी के कर्मियों पर नहीं पड़ रहा है।
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लिखित शिकायत नहीं मिली। फिर से गोपनीय जांच कराई जाएगी। अगर स्टाक में सामान है और इसके बाद भी मेडिकल स्टोर से मंगवाया जा रहा, तो संबंधित डाक्टर के खिलाफ कार्रवाई तय है।
डा. दिलीप सिंह, सीएमएस, राजकीय मेडिकल कालेज