बेहतर सिचाई के लिए मिले 1.63 करोड़
ड्रिप जो जमीन पर लगाने से पौधों को बूंद-बूंद पानी देकर सींचता है। ड्रिप जो जमीन पर लगाने से पौधों को बूंद-बूंद पानी देकर सींचता है। ड्रिप जो जमीन पर लगाने से पौधों को बूंद-बूंद पानी देकर सींचता है।
जागरण संवाददाता, कन्नौज : बुंदेलखंड व उत्तराखंड की तर्ज पर जिले के किसान रेनगन, ड्रिप व मिनी स्प्रिंकलर का इस्तेमाल करने लगे हैं। इन उपकरणों से फसलों की बेहतर सिंचाई के साथ 60 से 70 फीसद तक पानी की बचत होती है। किसानों की मांग पर इस बार भी उद्यान विभाग अनुदान पर यह उपकरण उपलब्ध कराएगा। इसके लिए विभाग को 1.63 करोड़ रुपये बजट मिला है, जो लॉकडाउन के दौरान वित्तीय वर्ष की शुरुआत में नहीं मिला था। तब से करीब 700 किसानों ने आवेदन कर रखे थे, जबकि जिले से शासन को 1271 हेक्टेयर क्षेत्रफल में उपकरण लगाने के लिए 5.22 करोड़ रुपये की मांग की गई थी। ये काम और लाभ
जिला उद्यान अधिकारी मनोज कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि स्प्रिंकल यानी छिड़काव पद्धति सिंचाई से पौधों की जड़ों में एक साथ खाद का वितरण होता है। ड्रिप जो जमीन पर लगाने से पौधों को बूंद-बूंद पानी देकर सींचता और रेनगन एक स्थान पर लगाने से चारों तरफ पानी की पौधों पर बौछार कर सींचती है। यह ऊंची नीची जगह में सिचाई के लिए खासकर फायदेमंद है। इससे फसलें जलमग्न नहीं होती हैं। अबतक 490 किसान 511 हेक्टेयर में इस्तेमाल कर रहे हैं। बचता श्रम, नाली की जरूरत नहीं
इन सभी के इस्तेमाल से नालियों की जरूरत नहीं होती है। डीजल और श्रम बचता है। विशिष्ट प्लास्टिक पाइप होने के कारण काफी दिन चलते हैं। सभी पौधों को उचित और समान पानी मिलता है। 30 से 100 फीसद फसल उत्पादन में वृद्धि के साथ गुणवत्ता बढ़ती है। यह कम बिजली से चलने वाले उपकरण हैं जो पाइप व नोजल होते हैं और आसानी से खेतों पर लगाए व इस्तेमाल होने के बाद हटाए जाते हैं। खरीद पर यह मिलता अनुदान
लघु सीमांत किसान : 90 फीसद
सामान्य किसान : 80 फीसद लागत प्रति हेक्टयर व अनुदान
ड्रिप : लागत 1,29,073 व अनुदान 1,16,116 रुपये
मिनि स्प्रिंकलर : लागत 1,8,132 व अनुदान 97,319 रुपये
रेनगन : लागत 4,9,690, अनुदान 3,5,725 रुपये