Move to Jagran APP

महिला समाख्या कार्यक्रम बंद करने की तैयारी, महिला कल्याण विभाग ने मोड़ मुंह...13 माह से नहीं मिला धन

महिला एवं बाल विकास विभाग से महिला समाख्या के कार्यक्रम अब संचालित नहीं होंगे। विभाग महिला समाख्या कार्यक्रम बंद करने जा रहा है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Thu, 12 Dec 2019 12:13 PM (IST)Updated: Thu, 12 Dec 2019 12:33 PM (IST)
महिला समाख्या कार्यक्रम बंद करने की तैयारी, महिला कल्याण विभाग ने मोड़ मुंह...13 माह से नहीं मिला धन
महिला समाख्या कार्यक्रम बंद करने की तैयारी, महिला कल्याण विभाग ने मोड़ मुंह...13 माह से नहीं मिला धन

लखनऊ [शोभित श्रीवास्तव]। महिला एवं बाल विकास विभाग से महिला समाख्या के कार्यक्रम अब संचालित नहीं होंगे। विभाग महिला समाख्या कार्यक्रम बंद करने जा रहा है। यही कारण है कि 13 महीने से इस कार्यक्रम को एक भी रुपया बजट नहीं दिया गया है। बेसिक शिक्षा परिषद से सेवाएं खत्म होने के बाद महिला कल्याण विभाग ने इसे 2017 में अंगीकृत किया था, लेकिन अब महिला कल्याण विभाग भी मुंह मोड़ रहा है। 

loksabha election banner

दरअसल, महिला समाख्या के तहत पंचायत व मजरे स्तर तक महिलाओं व किशोरियों के स्वैच्छिक संघ का निर्माण किया जाता है। इसमें लगभग दो लाख स्वैच्छिक कार्यकर्ता व 650 संविदा कर्मी कार्यरत हैं। इस कार्यक्रम को नवंबर 2018 से वित्तीय स्वीकृति नहीं मिली है। इस कारण 13 माह से मानदेय व प्रबंधकीय व्यय नहीं मिल रहा है। अब किराये के भवनों में चल रहे ऑफिस तक बंद होने की नौबत है।

महिला समाख्या कार्यक्रम फिलहाल 19 जिलों में संचालित है। इनमें औरैया, बुलंदशहर, प्रयागराज, बलरामपुर, बहराइच, चित्रकूट, गोरखपुर, जौनपुर, मऊ, मथुरा, मुजफ्फरनगर, प्रतापगढ़, सीतापुर, सहारनपुर, श्रावस्ती, वाराणसी, कौशाम्बी, शामली व चंदौली शामिल हैं। फिलहाल प्रदेश सरकार महिला समाख्या कार्यक्रम के संचालन की स्थिति की जांच करा रही है। इसमें यह भी देखा जा रहा है कि यदि कार्यक्रम संचालित है तो यह कितने जिलों में चल रहा है। साथ ही महिला समाख्या कार्यक्रम द्वारा अप्रैल 2017 से लेकर अब तक किए गए कार्यों की समीक्षात्मक विवरण भी मांगा गया है।

पिछले वर्षों के कार्यक्रमों की जांच

महिला कल्याण विभाग की प्रमुख सचिव मोनिका एस गर्ग ने बताया कि पहले कोर्ट केस और फिर विशेष ऑडिट के कारण महिला समाख्या को बजट नहीं दिया गया। जहां तक इस साल की बात है तो महिला समाख्या कार्यक्रम के तहत कोई कार्ययोजना ही नहीं दी गई। महिला समाख्या कार्यक्रमों की पिछले वर्षों की जांच कराई जा रही है।

बजट नहीं तो कैसे होंगे कार्यक्रम?

महिला समाख्या की राज्य परियोजना निदेशक स्मृति सिंह ने कहा कि महिला समाख्या कार्यक्रम जानबूझकर बंद करने की तैयारी है। अब कहा जा रहा है कार्ययोजना नहीं दी, जबकि हमने 10 करोड़ रुपये की कार्ययोजना दी थी। शासन जिलों में महिला समाख्या के कार्यक्रम संचालन की स्थिति जांच रही है। जिसे 13 माह से कोई बजट न मिला हो उसके कार्यक्रम कैसे संचालित हो सकते हैं?

महिला समाख्या के तहत ये होते हैं काम 

  • घरेलू हिंसा से जुड़े मसले देखना, इससे ग्रामीण महिलाओं को बचाना। 
  • नारी संजीवनी केंद्रों का गठन व संचालन।
  • नारी अदालतों का गठन एवं संचालन।
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम का संचालन।
  • नाबालिग बेटियों की शादियां रुकवाना।
  • महिला एवं बाल अधिकार मंच का गठन कर उन्हें अधिकारों के प्रति जागरूक करना।
  • महिला एवं बच्चों की सुरक्षा के लिए सामुदायिक जागरूकता।

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.