एक साल में 107 गर्भवती महिलाओं ने दम तोड़ा
लोगो : स्वस्थ समाज ::: - खून की कमी और जाँच में कराने में लापरवाही बन रहा मातृ मृत्यु का कारण
लोगो : स्वस्थ समाज
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- खून की कमी और जाँच में कराने में लापरवाही बन रहा मातृ मृत्यु का कारण
झाँसी : लगातार प्रयास और सुरक्षित प्रसव की नवीनतम तकनीक के आने के बाद भी मातृ मृत्यु दर में कमी आने का नाम नहीं ले रही है। एक वर्ष में 1.33 लाख से अधिक गर्भवती महिलाओं में से लगभग उच्च जोखिम गर्भावस्था के रूप में चिह्नित की गयीं, जिसमें से 107 ने दम तोड़ दिया। इस बारे में अपर निदेशक स्वास्थ्य डॉ. अल्पना बरतारिया ने चिन्ता जताते हुये मातृ मृत्यु दर में कमी लाने पर बल दिया है।
नैशनल फेमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार झाँसी मण्डल में 49 वर्ष से कम आयु की लगभग 36 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं खून की कमी से ग्रसित हैं, 40 प्रतिशत महिलाएं एनिमिक मिली हैं। हीमोग्लोबिन की कमी के कारण प्रसव के दौरान अत्याधिक रक्तस्राव से प्रसूता की जान जा सकती है। स्त्री रोग विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाओं को गर्भवती होने के 4 माह के अन्दर खून, मूत्र, ब्लड प्रेशर, वजन, एचआइवी, हेपेटाइटिस बी, सिफरिल के लिये वीडीआरएल (वेनेरियल डि़जी़ज रिसर्च लेब्रॉरेट्रि) की पहली जाँच कराना चाहिये। इसमें खून की जाँच अहम है। खून की कमी पाये जाने पर खानपान, आयरन फोलिक एसिड टैबलेट, आयरन सुक्रोज देकर रक्त बढ़ाया जा सकता है। गर्भधारण के 6 माह के खून की दूसरी जाँच आवश्यक है। 6 से 9 माह के बीच में तीसरी जाँच के रूप में लिवर व किडनी की जाँच एवं चौथी जाँच में एक बार फिर सम्पूर्ण चेकअप कराना चाहिये।
हर माह की 9 व 24 तारीख को लगता है जाँच शिविर
हर माह की 9 व 24 तारीख को प्रधानमन्त्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस मनाया जाता है। इस दिन सभी सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों पर गर्भवती महिलाओं की जाँच की जाती है।
पूरी जाँच नहीं करातीं गर्भवती महिलाएं
सर्वे के अनुसार सरकारी अस्पताल में झाँसी मण्डल में वर्ष 2017-18 में पंजीकृत 56,696 गर्भवती महिलाओं में से 28,815 ने, वर्ष 2018-19 में 47,914 गर्भवती महिलाओं में से 37,233 ने, वर्ष 2019-20 में 54,573 गर्भवती महिलाओं में से 53,357 ने, वर्ष 2020-21 में 24,541 गर्भवती महिलाओं में से 18,125 ने ही पूरी जाँच करायीं।
फोटो : डॉ. अलका सेठी
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इनका कहना है
वरिष्ठ स्त्री रोग एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. अलका सेठी के अनुसार मातृ मृत्यु दर कम करने के लिये गर्भवती महिलाओं को समय से पूरी जाँचें कराना चाहिये। प्रसव पीड़ा होने पर तत्काल अस्पताल जाएं। घर पर डिलिवरि नहीं कराएं। आवश्यकता पड़ने पर अस्पताल में खून मिलने की सुविधा भी मिल जाती है।
फोटो : डॉ. अनुपमा प्रकाश
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स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुपमा प्रकाश ने कहा कि महिलाओं को दैनिक आहार में आयरन का सेवन करना चाहिये। गर्भावस्था में 4 जाँच आवश्यक हैं। आवश्यकता पड़ने पर अतिरिक्त जाँच भी स्त्री रोग विशेषज्ञ की सलाह पर कराना चाहिये। इसमें लापरवाही मातृ एवं भ्रूण मृत्यु तथा रुग्णता का कारण बन सकती है।
फाइल : मुकेश त्रिपाठी