Move to Jagran APP

मौत के खौफ से चिताहरण 30 साल से बना नारी

मौत भले ही सास्वत सत्य है लेकिन इसका खौफ सभी को होता है। तभी तो सुहाग की साड़ी कान में झुमका नाक में नथिया और हाथों में कंगन के साथ सोलहों श्रृंगार करके एक श्रमिक तीस वर्ष से अपने जीवन की नैया खे रहा है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 12 Dec 2019 05:18 PM (IST)Updated: Thu, 12 Dec 2019 05:18 PM (IST)
मौत के खौफ से चिताहरण 30 साल से बना नारी
मौत के खौफ से चिताहरण 30 साल से बना नारी

अखिलेश सिंह

loksabha election banner

जफराबाद (जौनपुर) : मौत भले ही सास्वत सत्य है लेकिन इसका खौफ सभी को होता है। तभी तो सुहाग की साड़ी, कान में झुमका, नाक में नथिया और हाथों में कंगन के साथ सोलहों श्रृंगार करके एक श्रमिक तीस वर्ष से अपने जीवन की नैया खे रहा है। यह पूर्व आइपीएस डीके पांडा की तरह राधा बनने का शौक नहीं पाला है बल्कि विवशता है। विडंबना कहें या हकीकत, संयोग कहें या कुछ और कि परिवार के 14 लोगों को खोने वाला यह शख्स अब अपना रूप ही बदल लिया है। महिलाओं के लिवास में रहकर जीविकोपार्जन करने वाले इस श्रमिक की पीड़ा सुनकर हर कोई द्रवित हो जाता है।

हम बात कर रहे हैं जलालपुर क्षेत्र के हौज खास गांव निवासी 66 वर्षीय वृद्ध चिताहरण चौहान उर्फ करिया की। इनकी जीवनगाथा किसी हारर फिल्म जैसी है। माता-पिता ने 14 साल की उम्र में ही उनकी शादी कर दी। विवाह के कुछ दिन बाद जीवन साथी ने साथ छोड़ दिया। इसके बाद जीविकोपार्जन के लिए 21 वर्ष की अवस्था में चिताहरण ईंट भट्ठे पर काम करने के लिए कोलकाता के पश्चिम दिनाजपुर चले गए। जहां इन्हें कई भट्टों के मजदूरों के भोजन के सामान की खरीदारी की जिम्मेदारी मिली। वहां एक बंगाली की राशन की दुकान से नियमित सामान खरीदते थे। धीरे-धीरे दुकानदार से घनिष्ठता बढ़ी और दुकानदार ने 25 वर्ष की अवस्था में चिताहरण से अपनी पुत्री के विवाह का प्रस्ताव रखा। उन्होंने बिना सोचे समझे बंगाली लड़की से विवाह रचा लिया। यही निर्णय उनके जी का जंजाल बन गया। शादी की जानकारी जब चिताहरण के परिवारवालों को हुई तो लोगों ने इसका विरोध किया। अपनों की नाराजगी से बचने के लिए वह बिना बताए बंगाली पत्नी को छोड़कर घर भाग आए। उधर, बंगाली परिवार को चिताहरण के घर का कोई पता नहीं था। पति के धोखे को पत्नी बर्दाश्त नहीं कर सकी और व्यथित होकर आत्महत्या कर ली। एक वर्ष बाद गलती का एहसास होने पर चिताहरण जब पुन: कोलकाता वापस गए तो उनको पता चला कि पत्नी ने उनके वियोग में आत्महत्या कर ली। उसके बाद घर वापस लौट आए। कुछ दिन बाद परिवारवालों ने तीसरी शादी कर दी और यहीं से समस्याओं का सिलसिला शुरू हो गया। शादी के कुछ ही दिन बाद चिताहरण स्वयं बीमार पड़ गए। घर के सदस्यों के मरने का सिलसिला जारी हो गया। चिताहरण ने बताया कि पिता राम जियावन, बड़ा भाई छोटाऊ, उसकी पत्नी इंद्रावती तथा उसके दो पुत्र, छोटा भाई बड़ाऊ तथा तीसरी पत्नी से तीन पुत्री व चार पुत्रों की मौत का सिलसिला एक के बाद एक कर चलता रहा।

........

स्वप्न में आती थी बंगाली पत्नी चिताहरण कहते हैं कि अक्सर उसके स्वप्न में बंगालन पत्नी आती थी। जो स्वप्न में ही चिताहरण के धोखे पर खूब रोती थी। अपनों की लगातार हो रही मौत से मैं टूट चुका था। एक दिन स्वप्न में बंगालन पत्नी आई तो मैं इस पत्नी को बख्श देने के लिए गुहार लगाया। इसके बाद उसने स्वप्न में ही कहा कि मुझे सोलहों श्रृंगार के रूप में अपने साथ रखो तब सबको छोड़ दूंगी। उसकी बात मानकर व खौफ से भयभीत होकर आज 30 साल से सोलहों श्रृंगार करके स्त्री के रूप में जी रहा हूं। कहते हैं कि उसके बाद से मैं शारीरिक रूप से स्वस्थ हो गया। घर में मरने का सिलसिला भी बंद हो गया। इस समय मेरे दो पुत्र दिनेश व रमेश हैं। जो मेरे साथ ही मजदूरी करके परिवार का सहयोग करते हैं। आज भी एक छोटे से कमरे में दो पुत्रों के साथ मौत के खौफ में जीवनयापन कर रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.