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मौसम के उतार-चढ़ाव से सरसों, अरहर व आलू की फसलों को खतरा

जौनपुर मौसम में उतार-चढ़ाव से रबी की फसलों में सरसों मटर अरहर व आलू की फसलों को खतरा बढ़ गया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Jan 2022 07:01 PM (IST)Updated: Thu, 20 Jan 2022 07:01 PM (IST)
मौसम के उतार-चढ़ाव से सरसों, अरहर व आलू की फसलों को खतरा
मौसम के उतार-चढ़ाव से सरसों, अरहर व आलू की फसलों को खतरा

जागरण संवाददाता, जौनपुर: मौसम में उतार-चढ़ाव से रबी की फसलों में सरसों, मटर, अरहर व आलू की फसलों को खतरा बढ़ गया है। हालांकि अभी तक कोई नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन आगे अगर मौसम इसी तरह कोहरा व बदली का बना रहा तो नुकसान हो सकता है।

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कृषि विज्ञान केंद्र बक्शा के अध्यक्ष डाक्टर सुरेश कुमार कनौजिया ने बताया कि मौसम की अनुकूलता के चलते इस साल किसानों को यह उम्मीद थी कि रबी की फसल अच्छी होगी, लेकिन आसमान में कोहरा व बदली छाए रहने के चलते किसानों की पेशानी पर बल पड़ने लगा है। ऐसे मौसम में दलहनी और तिलहनी फसलों पर फली छेदक कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है। बचाव के लिए विशेषज्ञों की सलाह पर दवाओं का छिड़काव करें। बताया कि इस समय दलहनी-तिलहनी फसलों के फल व फूल लगने का चल रहा है, विशेष कर दलहनी फसलों में अरहर की फसल में फूल की अवस्था है, और फलियां लगने का समय है। बदली के मौसम में फली छेदक कीटों का विकास तेजी से होता है। ऐसी स्थिति में किसान चार लीटर नीमारीन 800 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर मौसम साफ होने पर छिड़काव करें। जैविक कीटनाशी एचएनपीवी 300-350 एलवी 300-350 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से सूर्यास्त के समय छिड़काव करें। जिससे फली छेदक कीट से बचाव किया जा सकेगा। जैविक कीटनाशक यदि उपलब्ध न हो तो तभी रासायनिक कीटनाशक का प्रयोग करें।


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