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क्रियाकलापों व साज-सज्जा से प्राइवेट स्कूलों को दे रहे मात

अभी तक सरकारी स्कूलों में कोरमपूर्ति व लापरवाही की हदें पार करती देखी गईं लेकिन कुछ सरकारी स्कूल हैं ऐसे भी हैं जो प्राइवेट स्कूलों को भी मात दे रहे हैं। गांव के कुछ संभ्रांत लोग और शिक्षकों की मेहनत से ऐसे विद्यालय इनदिनों सुर्खियों में हैं। पिछड़े इलाके में बने इस हाईटेक स्कूल में हर आधुनिक सुविधा मौजूद है। यहां कम्प्यूटर से लेकर प्रोजेक्टर तक से पढ़ाई होती है। हालांकि यह सुविधाएं ऐसी ही नहीं मिलीं। इन विद्यालयों को खास बनाने के लिए शिक्षकों ने दिन-रात एक कर दिया। लगन और विश्वास के बल पर आज यह विद्यालय प्राइवेट स्कूलों से न सिर्फ टक्कर दे रहे हैं बल्कि बच्चों को भी बेहतर तालीम मुहैया करा रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 15 Jan 2020 05:23 PM (IST)Updated: Wed, 15 Jan 2020 05:23 PM (IST)
क्रियाकलापों व साज-सज्जा से प्राइवेट स्कूलों को दे रहे मात
क्रियाकलापों व साज-सज्जा से प्राइवेट स्कूलों को दे रहे मात

कामन इंट्रो

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अभी तक सरकारी स्कूलों में कोरमपूर्ति व लापरवाही की हदें पार करती देखी गईं लेकिन कुछ सरकारी स्कूल हैं ऐसे भी हैं जो प्राइवेट स्कूलों को भी मात दे रहे हैं। गांव के कुछ संभ्रांत लोग और शिक्षकों की मेहनत से ऐसे विद्यालय इनदिनों सुर्खियों में हैं। पिछड़े इलाके में बने इस हाईटेक स्कूल में हर आधुनिक सुविधा मौजूद है। यहां कम्प्यूटर से लेकर प्रोजेक्टर तक से पढ़ाई होती है। हालांकि यह सुविधाएं ऐसी ही नहीं मिलीं। इन विद्यालयों को खास बनाने के लिए शिक्षकों ने दिन-रात एक कर दिया। लगन और विश्वास के बल पर आज यह विद्यालय प्राइवेट स्कूलों से न सिर्फ टक्कर दे रहे हैं, बल्कि बच्चों को भी बेहतर तालीम मुहैया करा रहे हैं।

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जागरण संवाददाता, जौनपुर: राज्य स्तर पर 'उत्कृष्ट विद्यालय पुरस्कार' के लिए चयनित कान्वेंट को मात दे रहे स्कूलों की सूची में बरसठी विकास खंड का प्राथमिक विद्यालय बेलौनाकला व पूर्व माध्यमिक विद्यालय भन्नौर भी है। जहां के शिक्षकों ने अपनी सोच व विभाग के सहयोग से विद्यालय की दशा-दिशा बदलने के साथ ही प्रदेश में भी अपना स्थान बना लिया है। उत्कृष्ट विद्यालय पुरस्कार प्राप्त कर सुर्खियों में आया प्राथमिक विद्यालय बेलौनाकला की तस्वीर को बदलने के लिए प्रधानाध्यापक राजेश उपाध्याय ने कड़ी मेहनत की। वह बताते हैं कि वर्ष 2015 में जब वह विद्यालय पहुंचे तो विद्यालय में दीवार तक नहीं बनी थी। साथ ही गंदगी व झाड़-झंखाल के बीच बच्चों की सुरक्षा भी खतरे में भी, जिसे उन्होंने चुनौती के रूप में लिया। सबसे पहले उन्होंने प्रधान के सहयोग से विद्यालय के चारों तरफ दीवार बनवाया। इसके बाद विद्यालय की सफाई कराकर इसमें सुंदर फूल लगवाए। उनका यह प्रयास रंग लाया और आज हरियाली सभी को सूकून दे रही है। पांच वर्षों में महज सुविधाएं ही नहीं, बल्कि छात्रों की संख्या भी 150 से बढ़ते हुए 237 पहुंच गई। छात्रों की सुविधा के लिहाज से बच्चों के लिए ग्रीन बोर्ड, डेस्क ब्रेंच, प्रोजेक्टर व डांस सीखने के लिए म्यूजिक सिस्टम की भी व्यवस्था की गई है। बच्चों को अंग्रेजी सिखाने के लिए संपर्क फाउंडेशन द्वारा भी अनूठा प्रयास किया जा रहा है। साथ ही विद्यालय में सुंदर किचन गार्डन का भी निर्माण कराया गया। विद्यालय सर्वप्रथम अभिनव विद्यालय की श्रेणी की कड़ी में जुड़ा इसके बाद अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में चयनित किया गया। गुणवत्ता युक्त शिक्षा की वजह से अभिभावकों का विश्वास भी बढ़ा। मौजूदा समय में यहां पांच अध्यापक व दो अनुदेशक के माध्यक से बच्चों को शिक्षा प्रदान की जा रही है।

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स्मार्ट क्लास से बच्चों को स्मार्ट बनाने पर जोर

बरसठी विकास खंड के ही पूर्व माध्यमिक विद्यालय भन्नौर को स्मार्ट क्लास व स्मार्ट लैब से बच्चों के ज्ञान समृद्ध करने की कोशिश की जा रही है। कभी 212 की छात्र संख्या आज बढ़ते हुए 269 पहुंच गई है। अब बच्चों को किताबी ज्ञान के साथ-साथ खेलकूद में सक्रिय किया जा रहा है। वर्ष 2014-15 में विद्यालय का प्रधानाध्यापक बनने के बाद राकेश उपाध्याय ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन की बदौलत स्कूल की तस्वीर और तकदीर दोनों बदल दी। वर्ष 2015-16 में गणित व विज्ञान के अध्यापकों को एक सूत्र में बांधकर बच्चों को क्वालिटी शिक्षा देने पर जोर दिया, जिससे छात्रों की संख्या ही नहीं अभिभावकों का विश्वास भी इस विद्यालय के प्रति बढ़ा। बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिहाज से श्री उपाध्याय ने इसी वर्ष स्मार्ट क्लास, स्मार्ट लैब व ग्रीन बोर्ड की व्यवस्था कराई है। उनका कहना है कि विद्यालय इंग्लिश मीडियम अभिनव है, लेकिन तीन शिक्षक व तीन अनुदेशक के बाद भी आस-पास के तीन किलोमीटर के प्राइवेट स्कूलों की अपेक्षा सबसे अधिक छात्र संख्या उन्हीं के विद्यालय में है। यहां के बच्चों ने खेलकूद में खो-खो में मंडल तक सफर किया।


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