बसफोर परिवार के सामने भुखमरी की समस्या
खानाबदोश की जिदगी गुजारने वाली बसफोर जाति की कहानी किसी से छिपी नहीं है। इसी में एक परिवार रामदेवपुर गांवसभा के डोभी मोड़ पर पेड़ के नीचे अपने दर्जन भर सदस्यों को लेकर रहता है।
जासं, चंदवक (जौनपुर): खानाबदोश की जिदगी गुजारने वाली बसफोर जाति की कहानी किसी से छिपी नहीं है। इसी में एक परिवार रामदेवपुर गांवसभा के डोभी मोड़ पर पेड़ के नीचे अपने दर्जन भर सदस्यों को लेकर रहता है। उसे क्या पता था कि कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन में भुखमरी के कगार पर पहुंच जाएंगे। वर्तमान स्थिति ऐसी है कि इस परिवार का मुखिया सड़क किनारे बैठकर सोच रहा है कि आने वाले दिनों को कैसे काटेंगे, दो जून की रोटी कैसे मिलेगी? इस कुनबे का मुखिया नगीना धरिकार, उसकी पत्नी दुर्गा, बेटा गब्बर, कामेंद्र बहू आशा देवी व पांच छोटे छोटे बच्चे सीमा, करन,अर्जुन, अंजलि, रीमा हैं। इनका आधार कार्ड व राशन कार्ड भी नहीं बना है। सरकार की तरफ से मिलने वाली सहायता से भी ये वंचित रहेंगे। इस विषम परिस्थिति में जिलाधिकारी का ध्यान आकृष्ट किया गया है।