युवाओं के बोल सुनकर समझा जा सकता है देश का भविष्य
यदि किसी देश के भविष्य को समझना है तो उस देश के युवक व युवतियों के बोल को सुनकर समझा जा सकता है। यदि किसी देश के भविष्य को समझना है तो उस देश के युवक व युवतियों के बोल को सुनकर समझा जा सकता है।
जासं, रामपुर (जौनपुर): यदि किसी देश के भविष्य को समझना है तो उस देश के युवक व युवतियों के बोल को सुनकर समझा जा सकता है। यह बातें आरएसएस के क्षेत्र बौद्धिक शिक्षण प्रमुख मिथिलेश नारायण ने गतदिवस मां सरस्वती पीजी कालेज दमोदरा के ठाकुर राम लोचन सिंह सभागार हाल में कही। वे प्रज्ञा प्रवाह के तत्वाधान में आयोजित वर्तमान सामाजिक परिस्थितियों में युवाओं की भूमिका विषयक संगोष्ठी में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति ऋषि संस्कृति है। मैकाले और मार्क्स ने इस देश की संस्कृति को नष्ट करने का कुत्सित प्रयास किया है। बतौर विशिष्ट अतिथि हड़िया पीजी कालेज के पूर्व प्राचार्य डा.रघुराज सिंह ने देश के चार आश्रम ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, संयास की सम्यक विवेचना करते हुए कहा कि समय से सभी आश्रमों का सम्यक निर्वहन करने से ही समाज संगठित और पुष्पित-पल्लवित होता है। अध्यक्षीय उद्बोधन में उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के सदस्य व बीएचयू प्रोफेसर आरएन त्रिपाठी ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय युग ऋषि थे महान मनीषी थे। जिन्होंने अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति की चिता करते हुए उसके उत्थान के लिए प्रयत्न करने की बात कही। उन्होंने कहा कि भारत की भूमि केवल टुकड़ा नहीं, यह हमारी मां है। कालेज संस्थापक महेंद्र सिंह ने अतिथियों को स्मृति चिह्न भेंट किया। इस मौके पर डा.ब्रम्हेश शुक्ला, मनोज तिवारी, प्रेम बहादुर सिंह, नारायण चौरसिया, सुभाष शुक्ला, जिला संयोजक संतोष त्रिपाठी,डा.सरला त्रिपाठी, डा.नीतू सिंह, कमलेश मिश्र, सुचिता सिंह, रमेश तिवारी, मनीष सिंह, ऊधम सिंह आदि मौजूद रहे। स्वागत मिथिलेश सिंह व संचालन अश्विनी सिंह ने किया। आभार प्रबंधक डा.चंद्रेश सिंह ने व्यक्त किया।