सर्द हवाओं के साथ कोहरे की चादर, पारा लुढ़ककर छह डिग्री पर पहुंचा
पहाड़ों पर अनवरत हो रही बर्फबारी और पश्चिमी विक्षोभ के चलते जनपद शीतलहर की चपेट में है।
जागरण संवाददाता, जौनपुर: पहाड़ों पर अनवरत हो रही बर्फबारी और पश्चिमी विक्षोभ के चलते जनपद शीतलहर की चपेट में है। गुरुवार को जानलेवा ठंड ने सभी को हिलाकर रख दिया है। आसमान में बादलों के कारण सूरज की किरणें धरती पर नहीं उतरीं और दिनभर कोहरे की धुंध छाई रही। न्यूनतम तापमान अचानक लुढ़ककर छह डिग्री सेल्सियस तक नीचे आ गया है। मौसम वैज्ञानिक के अनुसार दो-तीन दिन तक ऐसी स्थिति बरकरार रहने के आसार हैं।
कई दिनों से धूप के साथ ही तापमान सामान्य से अधिक बना हुआ था। बुधवार की रात से कोहरे की चादर ने आसमान को ढंग लिया। घनत्व काफी अधिक होने दृश्यता न होने के कारण आवागमन में खासी परेशानी हुई। कृषि विज्ञान केंद्र बक्शा के मौसम वैज्ञानिक डाक्टर पंकज जायसवाल ने बताया कि गुरुवार की सुबह सात बजे तापमान सात डिग्री सेल्सियस रहा। हवा की गति आठ किलोमीटर प्रति घंटा रही। इसके सापेक्ष आर्द्रता 85 फीसद रही। इसके साथ ही दस बजे 15 डिग्री सेल्सियस, दोपहर 12 बजे 17 डिग्री और 4 बजे तक 18 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया। शाम पांच बजे के बाद सूरज की किरणों के मद्धिम पड़ने के साथ ही पारे के गिरने का क्रम शुरू हो गया। रात 12 बजे पुन: नौ डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है। इसके बाद पारा पुन: गिरने लगेगा। पहाड़ों पर कई दिनों से हो रही बर्फबारी के कारण आगामी दिनों में जनपद शीतलहर की चपेट में आने के आसार हैं। तापमान गिरने के साथ ही कोहरे के भी प्रकोप संकट पैदा करेगा।
दूसरी तरफ ठंड से बचाव के लिए नगर समेत ग्रामीण अंचलों में अलाव की व्यवस्था नाकाफी साबित हो रही है। राहगीर, श्रमिक व बेसहारा लोग ठिठुरते नजर आए। कार्यालयों व न्यायालय में भी उपस्थिति काफी कम रही। शाम होते ही सड़क पर सन्नाटा पसर गया। पाला से फसलों को होगा नुकसान
तापमान में अचानक गिरावट के साथ ही पाला पड़ने की संभावना है। मौसम से इस उतार-चढ़ाव के कारण फसलों को काफी नुकसान पहुंच सकता है। तापमान में गिरावट एवं पाले की वजह से खाद्यान्न एवं सब्जियों की पत्तियां पीली होकर झुलसने लगती है और फूल गिरने लगते हैं। आलू की फसल में झुलसा बीमारी लगने की संभावना बढ़ जाती है । इसके अलावा अरहर का फूल झड़ने लगता है और मटर की फसल में गेरूई रोग लगने लगता है जिससे पत्तियां झुलसने लगती है। कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ पादप सुरक्षा वैज्ञानिक डाक्टर संदीप कुमार ने फसलों को रोगों से बचाने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि सब्जियों की नर्सरी को लोटनल, टाट या भूसे से ढक दें। गेहूं, सरसों एवं अरहर की फसल में 600 ग्राम घुलनशील सल्फर को 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। जरूरत के हिसाब से खेत की हल्की सिचाई करते रहें। इससे मिट्टी का तापमान कम नहीं हो पाता है और पाले का असर कम हो जाता है।