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टिकट को लेकर रस्साकशी तेज, समर्थक बेचैन

राजनीति संभावनाओं का खेल है इसमें कुछ भी असंभव नहीं है। सियासत का यही जुमला टिकट को लेकर लाइन में लगे दावेदारों में हर किसी की उम्मीदों को जिदा रखे हुए है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 04 Apr 2019 06:21 PM (IST)Updated: Thu, 04 Apr 2019 06:21 PM (IST)
टिकट को लेकर रस्साकशी तेज, समर्थक बेचैन
टिकट को लेकर रस्साकशी तेज, समर्थक बेचैन

जागरण संवाददाता, जौनपुर: राजनीति संभावनाओं का खेल है, इसमें कुछ भी असंभव नहीं है। सियासत का यही जुमला टिकट को लेकर लाइन में लगे दावेदारों में हर किसी की उम्मीदों को जिदा रखे हुए है। मछलीशहर (सु) क्षेत्र से भाजपा द्वारा बसपा छोड़कर आए नए नवेले बीपी सरोज को टिकट थमा दिया तो सपा-बसपा गठबंधन से बसपा ने पूर्व विधायक टी.राम को प्रभारी घोषित किया है। कांग्रेस समेत अन्य दल फिलहाल अभी उपयुक्त प्रत्याशी की तलाश पूरी नहीं कर सके हैं। मछलीशहर से दो प्रमुख दलों के पत्ते खुलने के बाद अब जिले भर के लोगों की नजर जौनपुर लोकसभा क्षेत्र की ओर टिकी हुई है।

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भाजपा की सीटिग सीट वाले इस लोकसभा क्षेत्र से पार्टी सांसद डा.कृष्ण प्रताप सिंह पर ही भरोसा करेगी या फिर किसी और चेहरे पर दांव लगाएगी, इसे लेकर सियासी गलियारे में फिलहाल जितनी मुंह उतनी बातें चल रही हैं। पार्टी के पदाधिकारी भी इस सीट पर शीर्ष स्तर पर चल रही उठापटक को लेकर अनभिज्ञ ही हैं।

हर हाल में जीत का मंसूबा पाले प्रमुख सियासी दल विपक्षी खेमे द्वारा उम्मीदवार की घोषणा किए जाने तक अपने पत्ते नहीं खोलना चाह रहे हैं। मिश्रित आबादी वाले इस क्षेत्र में जातिगत समीकरण हार-जीत में अहम फैक्टर भी होता रहा है। प्रमुख सियासी दलों की सबसे बड़ी चिता है कि प्रत्याशी चयन में जरा सी चूक कहीं विपक्षी के पक्ष में मतों का ध्रुवीकरण का कारण न बन जाए।

2012 में सदर विधानसभा में मिली जीत के बाद नई पीढ़ी में कांग्रेस का विस्तार हुआ था। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी सपा से समझौते के तहत यहां कांग्रेस ने दमदारी से चुनाव लड़ा लेकिन निराश मिली। 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां कांग्रेस ने भोजपुरी सिने स्टार रविकिशन पर दांव लगाया था लेकिन पार्टी कुछ बेहतर प्रदर्शन कर पाने में नाकाम रही। इस बार लोकसभा चुनाव हेतु छिड़े सियासी महासमर में कांग्रेस का योद्धा कौन होगा, पार्टी द्वारा अब तक कुछ भी संकेत नहीं दिया गया है।

बहरहाल चुनावी समर में दो-दो हाथ करने को तैयार समर्थक अपने सेनापति के नामों के एलान होने की बाट जोह रहे हैं। संप्रति यही वजह है कि उनकी बेचैनी दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है।


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